नशाखोरी और स्मार्टफोन की लत युवाओं के लिए सबसे बड़े खतरे : मुख्यमंत्री

नशाखोरी और स्मार्टफोन की लत युवाओं के लिए सबसे बड़े खतरे : मुख्यमंत्री

गोरखपुर (उप्र), 10 दिसंबर (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नशाखोरी और स्मार्टफोन की लत को आज के युवाओं के लिये सबसे बड़ा खतरा करार देते हुए बुधवार को कहा कि युवाओं से अपने और देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए इन दोनों बीमारियों से दूर रहने की जरूरत है।

महायोगी गोरखनाथ यूनिवर्सिटी में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (एमपीएसपी) के 93वें संस्थापक सप्ताह के ग्रैंड फिनाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे की लत में फंसा युवा परिवार, समाज या देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा सकता।

उन्होंने कहा, "आज के युवाओं के सामने दो सबसे बड़े खतरे हैं, जिनमें नशाखोरी और स्मार्टफोन की लत शामिल है। उन्हें अपने और अपने देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए इन दोनों से दूर रहना चाहिए।"

आदित्यनाथ ने इस मौके पर उत्तराखंड के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटायर्ड) का चीफ गेस्ट के तौर पर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को आगाह किया कि ड्रग माफिया युवा पीढ़ी को निशाना बना रहे हैं।

उन्होंने कहा, “आपको सतर्क रहना होगा। शैक्षणिक संस्थाओं को भी सावधान रहना होगा। युवाओं को नशे के खिलाफ एक नई लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि दुश्मन किसी न किसी रूप में घुसपैठ करना चाहता है। उसे मौका न दें।”

मुख्यमंत्री ने युवाओं को धीरे-धीरे अपना स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह दी और कहा कि अचानक बदलाव करना अक्सर मुश्किल होता है।

उन्होंने कहा, “अपना फोन तभी इस्तेमाल करें जब जरूरी हो, वह भी आधे घंटे या एक घंटे के लिए।”

आदित्यनाथ ने कहा कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल आंखों की रोशनी खराब करता है, दिमाग को सुस्त करता है और बुद्धि तथा शारीरिक क्षमता को कमजोर करता है।

छात्र-छात्राओं को आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ड्रोन और रोबोटिक्स के एक नए दौर में कदम रख चुकी है।

उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी नौकरियां कम नहीं करेगी बल्कि नए मौके बनाएगी। युवाओं को इस बदलाव के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी जिंदगी को आसान बनाती है, वैसे-वैसे यह नई चुनौतियां भी लाती है और एकेडमिक संस्थानों को उसी हिसाब से तैयारी करनी चाहिए।