हैदराबाद: दुर्लभ चील उल्लू के अंडे सेने के लिए खदान में जारी काम को रोका गया

हैदराबाद: दुर्लभ चील उल्लू के अंडे सेने के लिए खदान में जारी काम को रोका गया

हैदराबाद, चार दिसंबर (भाषा) तेलंगाना के विकाराबाद जिले में पर्यावरण-हितैषी कदम उठाते हुए लगभग एक महीने के लिए एक पत्थर की खदान में उत्खनन का काम रोक दिया गया है ताकि एक दुर्लभ रॉक चील उल्लू को शांति से अपने अंडे सेने दिया जा सके।

वन्यजीव फोटोग्राफरों और संरक्षणवादियों द्वारा इस दुर्लभ पक्षी और इसके अंडों के बारे में सतर्क किए जाने के बाद तेलंगाना का वन विभाग तुरंत कार्रवाई में जुट गया।

विकाराबाद जिला वन अधिकारी ज्ञानेश्वर ने बृहस्पतिवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि वन्यजीव फोटोग्राफर मनोज कुमार विट्टापु ने तेलंगाना के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) सी सुवर्णा को रॉक चील उल्लू और उसके पांच अंडों की उपस्थिति के बारे में सूचित किया। विट्टापु ने लगभग छह दिन पहले विकाराबाद के येनकथला में घास के मैदान का दौरा किया था।

ज्ञानेश्वर ने बताया कि पीसीसीएफ ने विकाराबाद जिले के वन अधिकारियों को तुरंत सुरक्षा उपाय करने के लिए कहा।

उन्होंन बताया कि मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मियों ने पत्थर खदान इकाई के मालिक लक्ष्मण रेड्डी को दुर्लभ प्रजाति के पक्षी की उपस्थिति और उसके अंडों के बारे में जानकारी दी।

ज्ञानेश्वर ने बताया कि इकाई मालिक ने चूजों के उड़ने लायक होने तक पक्षी को परेशान न करने पर सहमति व्यक्त की। तब से वन विभाग के कर्मचारी दैनिक आधार पर पक्षी पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

यह रॉक चील उल्लू दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है जो कीड़े, चूहे और अन्य जीवों के शिकार पर निर्भर रहता है। अधिकारी ने बताया कि अन्य उल्लुओं की तुलना में ये मुख्य रूप से चट्टानी इलाकों में रहते हैं।

अधिकारी के अनुसार, "हालांकि यह लुप्तप्राय नहीं है लेकिन इसका दिखना दुर्लभ है।"

यह ज्ञात नहीं है कि पक्षी ने येनकथला घास के मैदान में अंडे कब दिए लेकिन उम्मीद है कि चूजे अगले 15 दिनों में अंडों से बाहर निकल आएंगे। यदि 20-25 दिनों तक ठीक से देखभाल की जाती है तो चूजे उड़ने में भी सक्षम हो जाएंगे।

येनकथला में घास के मैदान के दौरे को लेकर विट्टापु ने बताया, "यह एक चमत्कार है कि हम उस समय वहां पहुंचे क्योंकि जमीन पर खनन चल रहा था। यदि खनन जारी रहता तो अंडे जमीन पर गिरकर टूट जाते। वहां के लोगों को अंडों की मौजूदगी के बारे में जानकारी नहीं थी।"

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ(वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) और पशु कार्यकर्ताओं ने रॉक चील उल्लू और अंडों की सुरक्षा के लिए उपाय करने हेतु वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया था।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के बचाव के लिए काम करता है

पत्थर खदान इकाई के मालिक ने बताया कि दुर्लभ पक्षी के अंडों की मौजूदगी के बारे में बताए जाने के बाद वहां पर काम रोक दिया था।

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