एप्पल, सैमसंग 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता पर सरकार से कर सकती हैं बातः सूत्र

एप्पल, सैमसंग 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता पर सरकार से कर सकती हैं बातः सूत्र

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) अग्रणी फोन विनिर्माता एप्पल एवं सैमसंग ‘संचार साथी’ ऐप को मोबाइल फोन में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने संबंधी आदेश पर सरकार के साथ बातचीत कर बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश करेंगी। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

दूरसंचार उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अग्रणी स्मार्टफोन कंपनियां भारत सरकार के इस आदेश के प्रावधानों की व्यावहारिकता पर सरकार से चर्चा करना चाहेंगी।

दूरसंचार विभाग ने 28 नवंबर, 2025 को जारी निर्देश में कहा है कि 90 दिनों के भीतर सभी नए मोबाइल फोन में इस ऐप को इंस्टॉल करना होगा। यह देश के भीतर विनिर्मित या बाहर से आयातित सभी फोन पर लागू होगा। वहीं मौजूदा फोन या अनबिके फोन में ऐप को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये इंस्टॉल करने को कहा गया है।

एक उद्योग सूत्र ने कहा कि आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एप्पल इस आदेश को मौजूदा स्वरूप में लागू करने में असमर्थता जता रही है और वह बीच का कोई रास्ता निकालने के लिए सरकार से चर्चा करना चाहेगी।

इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि सैमसंग इस आदेश की समीक्षा कर रही है और वह भी इस पर अमल करने से पहले सरकार से चर्चा कर सकती है।

इस संदर्भ में टिप्पणी के लिए एप्पल और सैमसंग दोनों कंपनियों को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला।

सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और इस समय लावा इंटरनेशनल में स्वतंत्र निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि मोबाइल हैंडसेट में धोखाधड़ी रोकने और दूरसंचार साइबर सुरक्षा मजबूत करने के लिए संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने का कदम उचित है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ताओं की डिजिटल गोपनीयता संबंधी आशंकाओं को दूर करने के लिए ऐप के आंकड़ों तक पहुंच और उपयोग संबंधी नीतियों को स्पष्ट करना आवश्यक है।

इस बीच, घरेलू फोन विनिर्माता लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक सुनील रैना ने संचार साथी ऐप को अनिवार्य किए जाने के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि उपभोक्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले हरेक कदम का कंपनी स्वागत करती है।

उन्होंने कहा, "हम नए दिशानिर्देश का पूरी तरह पालन करेंगे। हमारा दृढ़ मत है कि यह कदम साइबर धोखाधड़ी और डेटा सेंधमारी जैसी घटनाएं कम करने में अहम भूमिका निभाएगा।"

प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और टेकशॉट्स के सीईओ अखिलेश शुक्ला ने कहा कि अगर कोई ऐप ऑपरेटिंग सिस्टम में ही जोड़ दिया गया है तो उपयोगकर्ता उसे डिलीट नहीं कर सकते। सिस्टम ऐप के तौर पर दिखाने वाले कुछ ऐप डिलीट किए जाने के बाद भी बैकग्राउंड में चलते रह सकते हैं।