आईटीसी लाभ का दावा करने को जीवन बीमा को जीएसटी से छूट दें: एलआईसी प्रबंध निदेशक
मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक रत्नाकर पटनायक ने सोमवार को जीवन बीमा क्षेत्र को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने में मदद मिलेगी।
पटनायक ने 22 सितंबर, 2025 से सभी व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को समाप्त करने के सरकार के फैसले का भी स्वागत किया।
पटनायक ने यहां सीआईआई वित्त पोषण शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘मेरा एक छोटा सा अनुरोध है... इस पर कोई कर नहीं है। क्या इसे जीएसटी से छूट मिल सकती है? इससे हमें कुछ इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्राप्त करने में मदद मिलेगी।’’
जीएसटी परिषद ने अगस्त में इसे जीएसटी मुक्त श्रेणी में डाले बिना जीएसटी को शून्य करने का संकल्प लिया था। जीएसटी मुक्त श्रेणी के तहत, एलआईसी जैसी कंपनियां आईटीसी के मोर्चे पर लाभ के माध्यम से परिचालन लागत में बचत का लाभ उठा सकती हैं।
पटनायक ने नीति निर्माताओं से सरकारी प्रतिभूतियों और राज्य विकास ऋणों की अतिरिक्त होल्डिंग को बुनियादी ढांचे और आवास निवेश के रूप में मानने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि सरकारें इसी उद्देश्य के लिए धन का उपयोग करती हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, बीमा कंपनियां आवास और बुनियादी ढांचे में अपने निवेश को 15 प्रतिशत की अनिवार्य सीमा के मुकाबले नौ प्रतिशत से थोड़ा अधिक तक ही ले जा पाई हैं।
पटनायक ने सरकार से पांच लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसियों की परिपक्वता राशि पर कर लगाने की तीन साल पुरानी नीति की समीक्षा करने की भी अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या अब 10 लाख रुपये तक की पॉलिसी को संशोधित करने का समय आ गया है? परिपक्वता राशि कर-मुक्त होनी चाहिए, ताकि हम कुछ अच्छी पॉलिसी प्राप्त कर सकें और अच्छा पैसा जुटा सकें।’’
पटनायक ने कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के माध्यम से देश के विकास उद्देश्यों में निवेश के लिए एलआईसी का समर्थन दोहराया।
