मुझे लगा जैसे मैं दुनिया की सबसे अमीर इंसान हूं: हरमनप्रीत ने पहली कमाई पर कहा

मुझे लगा जैसे मैं दुनिया की सबसे अमीर इंसान हूं: हरमनप्रीत ने पहली कमाई पर कहा

नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) विश्व कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर की आंखे उस समय खुशी से भर आईं जब उन्होंने 90,000 रुपये की अपनी पहली कमाई को याद किया।

अपनी असाधारण यात्रा के बारे में बात करने के लिए पीटीआई मुख्यालय पहुंची हरमनप्रीत ने कहा कि पहली कमाई ने उन्हें दुनिया की ‘सबसे अमीर इंसान’ जैसा महसूस कराया था।

उनके उतार-चढ़ाव भरे करियर का सबसे यादगार पल बेशक दो नवंबर को जीता गया विश्व कप है, लेकिन उस पल तक पहुंचने से पहले कई ऐसे पड़ाव आए जिन्होंने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया, खासकर उनके पदार्पण मैच की तनख्वाह उस समय उनके लिए बहुत बड़ी राशि थी।

हरमनप्रीत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ उन दिनों हमारी टूर फीस एक लाख रुपये हुआ करती थी। हम चाहे जितने भी मैच खेलें, हमें उतनी ही रकम मिलती थी। टीडीएस के बाद यह लगभग 90,000 रुपये हो जाता था।’’

हरमनप्रीत ने क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद भारतीय टीम की जर्सी पहनने का सपना संजोना शुरू कर दिया था और अपनी पहली कमाई को याद कर उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गये। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं दुनिया की सबसे अमीर इंसान हूं, क्योंकि यह मेरी पहली कमाई थी।’’

इस 36 वर्षीय खिलाड़ी ने 2009 में वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन टेस्ट टीम का हिस्सा 2014 में इंग्लैंड दौरे पर बनीं। इस टीम ने आठ नए खिलाड़ियों के होने के बावजूद भारत ने एक रोमांचक मैच में इंग्लैंड की मजबूत टीम को छह विकेट से हराया था।

पंजाब के मोगा की इस आक्रामक बल्लेबाज ने बताया कि जब उनकी कमाई का पहला चेक जब उनके घर पहुंचा, तो उन्होंने उसे अपने पिता हरमंदर सिंह भुल्लर को सौंप दिया। स्थानीय अदालत में क्लर्क के तौर पर काम करने वाले भुल्लर खेल प्रेमी है और क्रिकेट के शौकीन थे। वह क्रिकेट के बास्केटबॉल और वॉलीबॉल भी खेलते थे।

भुल्लर ने हरमनप्रीत को क्रिकेट से जुड़े रहने के लिए काफी प्रेरित किया था और वह इस खिलाड़ी के साथ आज भी किसी बड़ी ताकत की तरह है।  खेल के प्रति उनका जुनून इतना था कि उन्होंने हरमनप्रीत के लिए ‘अच्छी बल्लेबाजी’ लिखी एक शर्ट खरीदी, हालांकि उस समय वह थोड़ी बड़ी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ उन दिनों चेक को घर भेजकर भुगतान किया जाता था।  मैंने इसे अपने पिता को दिया। उस पल से पहले मेरे पिता ही मुझमें निवेश कर रहे थे और यह पहली बार था जब मैं उन्हें कुछ वापस दे रही थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वह रकम कितनी भी बड़ी या छोटी क्यों न हो, वह मुझसे ज्यादा इसके हकदार थे।’’