चीन 2030 तक चंद्रमा पर मानव भेजने की तैयारी में : यह क्यों है अहम
कैम्ब्रिज, 12 नवंबर ( द कन्वरसेशन) मानव ने चंद्रमा पर अंतिम बार कदम रखे थे 50 साल से अधिक समय पहले, लेकिन चीन अब धीरे-धीरे अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है। 30 अक्टूबर, 2025 को चीन के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के एक प्रवक्ता ने कहा कि देश 2030 तक चंद्र मिशन शुरू करने की योजना के अनुसार “प्रगति पर” है।
दुनिया की निगाहें क्यों हैं चीन पर
अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकारियों और विशेषज्ञों में चीन के मानव चंद्र मिशन को लेकर चिंता है। कुछ का मानना है कि यदि चीन नासा के आर्टेमिस तीन मिशन (जो 2027 में निर्धारित है, लेकिन इसमें देरी हो सकती है) से पहले चंद्रमा पर पहुंचता है, तो यह अमेरिका की अंतरिक्ष शक्ति को चुनौती दे सकता है।
चीन का चंद्रमा तक का सफर तेज रहा है। 2003 में पहले अंतरिक्ष यात्री यांग लीवेई के बाद से चीन ने बहु-सदस्य मिशन और तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन बनाया। 2030 तक, जब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) सेवानिवृत्त हो जाएगा, तब चीन अकेला देश होगा जिसके पास पृथ्वी की कक्षा में स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन होगा।
चीन की वर्तमान क्षमताएँ और उपलब्धियां
अंतरिक्ष यान शोनझोऊ 21 ने 31 अक्टूबर, 2025 को तीन अंतरिक्ष यात्रियों को तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा।
चीन ने 20 से अधिक ‘लॉंग मार्च’ रॉकेट विकसित किए हैं, जिनमें 16 सक्रिय हैं और इनकी सफलता दर 97 फीसदी है। नया लॉंग मार्च 10 रॉकेट चंद्र मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है।
अंतरिक्ष यान की बात करें तो नई पीढ़ी का मेंगझोऊ क्रू कैप्सूल छह अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा सकेगा और इसे पृथ्वी की कक्षा या गहरे अंतरिक्ष मिशन के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इसकी मानव रहित पहली उड़ान 2026 में होने की योजना है।
चंद्र लैंडर लैनयुई का भी डिजाइन तैयार है। इसके दो हिस्से हैं। पहला है लैंडिंग स्टेज जो इसके यात्रियों के लिए है और दूसरा प्रोपल्शन स्टेज लैंडिंग के लिए ईंधन के वास्ते है। करीब 26 टन वजन वाले इस लैंडर की क्षमता दो अंतरिक्ष यात्रियों की है।
चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के अनुसार, रोबोटिक प्रोटोटाइप का 2027–2028 में परीक्षण किया जाना है और 2028–2029 में मानव रहित मिशन तथा 2030 में पूर्ण मानव चंद्र मिशन रवाना होगा।
चीन ने चंद्रमा की सतह पर आंदोलन के लिए डिजाइन किए गए ‘स्पेस सूट’ को 2024 में चोंगकिंग में प्रदर्शित किया था।
चीन का चांग’ई-6 मिशन 2024 में रवाना हुआ। यह एक रोबोटिक मिशन था जो चंद्रमा से नमूने ले कर आया और चीन की तकनीकी क्षमता को दिखाया।
रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व
चीन का सफल चंद्र मिशन केवल प्रतीकात्मक नहीं होगा। इससे चीन चंद्रमा के अन्वेषण के नियम, अनुसंधान एजेंडा और अंतरिक्ष भू-राजनीति में प्रभाव बना सकेगा। पूर्व नासा सहायक प्रशासक माइक गोल्ड ने कहा, “जो देश पहले वहां पहुंचेंगे, वे चंद्रमा पर गतिविधियों के नियम बनाएंगे।”
चीन का यह मिशन उसकी दशकों की तैयारी, तकनीकी विशेषज्ञता और पर्याप्त वित्तीय संसाधनों (2024 में 19 अरब अमेरिकी डॉलर) पर आधारित है। यदि यह सफल होता है तो चीन आने वाले दशकों में अंतरिक्ष अन्वेषण में एक प्रमुख खिलाड़ी बन जाएगा।
संक्षेप में कहा जाए तो चीन का 2030 का चंद्र मिशन योजनाबद्ध, तकनीकी रूप से सक्षम और भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम है, जो मानवता के अगले अंतरिक्ष युग में प्रवेश का प्रतीक होगा।
