शेयर बाजार की धारणा निकट भविष्य में सकारात्मक रहने की संभावना: विश्लेषक
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार में निवेशक धारणा निकट भविष्य में सकारात्मक बनी रह सकती है। हालांकि, हाल के तेज उछाल के बाद सीमित मुनाफावसूली की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अक्टूबर महीने में बीएसई सेंसेक्स में 3,671.09 अंक यानी 4.57 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई जबकि एनएसई निफ्टी 1,111 अंक यानी 4.51 प्रतिशत बढ़ गया। दोनों सूचकांकों ने 23 अक्टूबर को 52-सप्ताह के अपने उच्चतम स्तर को भी छुआ।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौड़ ने कहा, “अक्टूबर में आया तेज उछाल मजबूत कॉरपोरेट आय, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार खरीद, वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में नरमी और 2025 में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से प्रेरित रही। आगे भी धारणा सकारात्मक रहेगी लेकिन मौजूदा उच्च मूल्यांकन के चलते उतार-चढ़ाव और क्षेत्रवार बदलाव देखने को मिल सकता है।”
अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने तीन महीने की निकासी के बाद फिर से भारतीय बाजार में 14,610 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड में शोध प्रमुख (संपत्ति प्रबंधन) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, “आगे बाजार सीमित दायरे में रह सकता है लेकिन झुकाव सकारात्मक रहेगा। घरेलू आर्थिक बुनियाद मजबूत हैं जिससे निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं निकट अवधि की बढ़त को सीमित कर सकती हैं।”
विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारी मांग, एफआईआई और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की सक्रिय खरीद और जीएसटी सुधारों ने अक्टूबर में बाजार के मनोबल को बढ़ाया।
वीएसआरके कैपिटल के निदेशक स्वप्निल अग्रवाल ने कहा, “सेंसेक्स और निफ्टी में 4.5 प्रतिशत से अधिक की तेजी मुख्य रूप से सरकार द्वारा हाल में किए गए जीएसटी सुधारों और बाजार भावना में सुधार के कारण रही।”
वाहन क्षेत्र में भी मजबूत बिक्री दर्ज की गई। मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और किआ इंडिया ने अक्टूबर में रिकॉर्ड घरेलू बिक्री की। टोयोटा किर्लोस्कर और स्कोडा ऑटो इंडिया की बिक्री में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
गौड़ ने कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है जिसे स्थिर जीडीपी वृद्धि, बेहतर कॉरपोरेट आय और बुनियादी ढांचा निवेश का समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने कहा, “सरकार का विनिर्माण, पूंजीगत व्यय और नीतिगत स्थिरता पर निरंतर ध्यान निवेशकों के भरोसे को बनाए रखेगा। ऐसे में वर्ष 2025 के अंत तक घरेलू बाजार के मजबूती से बंद होने की पूरी संभावना है।”
