बारिश की बूंदों को अपनी गठरी में समेट दक्षिण-पश्चिम मानसून वापस चला गया

बारिश की बूंदों को अपनी गठरी में समेट दक्षिण-पश्चिम मानसून वापस चला गया

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) रिमझिम फुहारों से देश के पूरे हिस्से को भिगोने के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 अक्टूबर की सामान्य तिथि के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को पूरे देश से वापस चला गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी।

विभाग ने बताया कि इसी समय पूर्वोत्तर मानसून तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और केरल-माहे में दस्तक दे चुका है।

इस वर्ष मानसून 24 मई को केरल पहुंचा था जो 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर इसका सबसे जल्दी आगमन था। यह 2009 में 23 मई को भारत पहुंचा था।

मानसून ने आठ जुलाई की सामान्य तिथि से नौ दिन पहले पूरे देश को कवर कर लिया। मानसून पूरे भारत में 2020 के बाद सबसे जल्दी पहुंचा है। मानसून ने 2020 में 26 जून तक पूरे देश को कवर कर लिया था।

मानसून आमतौर पर एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापस जाना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से चला जाता है।

भारत में 30 सितंबर तक मानसून के दौरान चार महीने में सामान्य 868.6 मिमी के मुकाबले 937.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई जो आठ प्रतिशत अधिक है।

आईएमडी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उत्तर-पश्चिम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के अधिकतर क्षेत्रों में अक्टूबर से दिसंबर तक के मानसून के बाद के मौसम के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।

आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि जून-सितंबर के दौरान हुई भरपूर बारिश के बाद, अक्टूबर में वर्षा सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है।

पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 1089.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य बारिश 1367.3 मिलीमीटर से 20 प्रतिशत कम है।

महापात्र ने कहा, ‘‘इस मानसून में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 1901 के बाद से दूसरी बार सबसे कम रही। इस क्षेत्र में मानसून के दौरान सबसे कम बारिश (1065.7 मिलीमीटर) 2013 में दर्ज की गई थी। अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में वर्षा में कमी आई है।"

उन्होंने कहा कि पश्चिमोत्तर भारत में 747.9 मिलीमीटर बारिश हुई जो सामान्य बारिश से 27.3 प्रतिशत अधिक है। महापात्र ने कहा कि यह 2001 के बाद से सबसे अधिक और 1901 के बाद से छठी सबसे अधिक बारिश है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के सभी जिलों में जून, अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई।

पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ आई तथा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर में बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की खबरें आईं, जिससे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा और लोग विस्थापित हुए।

आईएमडी ने अतिरिक्त बारिश का श्रेय सक्रिय मानसून को दिया जिससे लगातार पश्चिमी विक्षोभों का समर्थन मिला और क्षेत्र में बारिश में वृद्धि हुई।

उन्होंने कहा कि मध्य भारत में 1125.3 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य बारिश से 15.1 प्रतिशत अधिक है जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में 9.9 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।

भारत में जून में सामान्य से 8.9 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई, जुलाई में 4.8 प्रतिशत, अगस्त में 5.2 प्रतिशत तथा सितंबर में 15.3 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई।

मानसून कृषि के लिए महत्वपूर्ण है जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी का समर्थन करती है और सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देती है। यह पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को भी भरता है।

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