बीएसएफ ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ड्रोन युद्ध को शामिल किया, नवाचार केंद्र की स्थापना की

बीएसएफ ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ड्रोन युद्ध को शामिल किया, नवाचार केंद्र की स्थापना की

टेकनपुर (मप्र), 21 सितंबर (भाषा) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को अद्यतन किया है और बीएसएफ जवानों एवं अधिकारियों के लिए ड्रोन युद्ध को एक अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ा है। इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद नये युग के युद्ध के लिए स्वदेशी उपकरण विकसित करने के उद्देश्य से एक नवाचार केंद्र भी स्थापित किया है।

राज्य में, ग्वालियर के निकट टेकनपुर स्थित लगभग 2.70 लाख कर्मियों वाले बीएसएफ के शीर्ष अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी ने रुस्तमजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आरजेआईटी) के छात्रों के लिए एक ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला भी बनाई है। यह संस्थान केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत अर्द्धसैनिक बल द्वारा संचालित एकमात्र उच्च शिक्षा संस्थान है।

बीएसएफ पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी भारत की 6,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा की पहरेदारी करता है, साथ ही विशेष अभियानों के लिए गृह मंत्रालय की वायु शाखा का संचालन भी करता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, बीएसएफ ने ड्रोन हमलों, गोलाबारी का मुकाबला किया और सीमा पर पाकिस्तानी ठिकानों पर प्रभावी गोलाबारी की।

बाईस अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, चलाये गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साहस का परिचय देने के लिए 18 बीएसएफ कर्मियों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया, जिनमें से दो को मरणोपरांत इससे नवाजा गया।

बीएसएफ अकादमी के निदेशक शमशेर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने हाल ही में जवानों और अधिकारियों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में संशोधन किया है और ड्रोन तकनीक को अब एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नयी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और दुनिया भर में युद्ध के बदलते तरीकों से निपटने के लिए बल को स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक के साथ आत्मनिर्भर बनाने की इस पहल के तहत हाल ही में एक ड्रोन स्कूल का उद्घाटन किया गया।’’

अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी सिंह ने कहा कि बल अपने विभिन्न हथियार एवं इंजीनियरिंग कार्यशालाओं, केंद्रों, आरजेआईटी और संबद्ध संस्थानों को एक मंच पर लाया है। बीएसएफ ने बल में ड्रोन तकनीक के सामरिक उपयोग की रुपरेखा तैयार करने के लिए विभिन्न आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों) और सरकारी अनुसंधान संगठनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

बीएसएफ अकादमी ने आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में उभरती चुनौतियों, जिनमें ड्रोन या मानव रहित वायुयान (यूएवी) शामिल हैं, का समाधान खोजने के लिए अपने विशेषज्ञ अधिकारियों, उद्योगों, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और नवप्रवर्तकों की भागीदारी से एक 'पुलिस प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र' भी बनाया है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘यह केंद्र 48 चिह्नित समस्याओं पर विचार कर रहा है। ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, निगरानी और स्मार्ट मोबिलिटी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर यह स्वदेशी प्लेटफॉर्म काम कर रहा है।’’

ड्रोन स्कूल ने अभी-अभी लगभग 45 कर्मियों के पहले बैच को ड्रोन कमांडो और ‘ड्रोन वॉरियर्स’ पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित किया है और वे सीमा पर वापस आ गए हैं।

केंद्र के एक प्रशिक्षक ने बताया कि दूसरा बैच प्रशिक्षण ले रहा है। इसका उद्देश्य सालाना लगभग 500 कर्मियों को प्रशिक्षित करना है। यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि ड्रोन कमांडो पाठ्यक्रम जवानों और जूनियर रैंक के अधिकारियों के लिए है, जबकि ड्रोन वॉरियर्स पाठ्यक्रम उन अधिकारियों के लिए है जो शांति और युद्ध के दौरान ऐसे अभियानों की योजना बनाएंगे और उनकी निगरानी करेंगे।

बीएसएफ जवानों को ड्रोन उड़ाने, ड्रोन-रोधी अभियानों और प्रौद्योगिकी की सामरिक तैनाती के सिद्धांत और व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बीएसएफ ने हाल में दुनिया भर में युद्ध में मानवरहित हवाई प्लेटफार्म के उपयोग का अध्ययन करने के बाद ‘ट्यूटोरियल’ तैयार किया है, जैसे कि यूक्रेन-रूस युद्ध, इसके अलावा अमेरिका, चीन, तुर्किये और पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा उपयोग किये गए।

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