कड़ी आलोचनाओं के बाद हाथ नहीं मिलाने का फैसला किया भारतीय टीम ने
दुबई, 15 सितंबर (भाषा) एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले से पहले भारतीय क्रिकेट टीम को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था इसके बाद ही उसने पाकिस्तानी टीम से हाथ नहीं मिलाने का फैसला किया और उसकी यह नीति चिर प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाफ दो अन्य संभावित मैचों में भी जारी रहेगी।
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ चीज खेल भावना से भी बढ़कर होती हैं।
सूर्यकुमार ने पाकिस्तान के खिलाफ सात विकेट से जीत के बाद संवाददाता सम्मेलन में पीटीआई के सवाल पर कहा, ‘‘हम सब एक साथ यहां आये तो हमने यह फैसला किया और मुझे लगता है कि हम यहां सिर्फ मैच खेलने आये हैं। मुझे लगता है कि हमने उचित जवाब दिया।’’
जब एक पाकिस्तानी पत्रकार ने पूछा कि क्या विपक्षी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार करना ‘‘राजनीति से प्रेरित‘‘ था, तो कप्तान ने जवाब दिया: ‘‘मुझे लगता है कि जीवन में कुछ चीजें खेल भावना से बढ़कर होती हैं। हम पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों के साथ खड़े हैं और इस जीत को हमारे सशस्त्र बलों को समर्पित करते हैं।‘‘
टूर्नामेंट के प्रसारणकर्ता से बात करते हुए मुख्य कोच गौतम गंभीर ने भी यही बात कही।
समझा जाता है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और टीम प्रबंधन ने अपने रुख पर चर्चा करने के लिए बैठक की, क्योंकि भारत में विपक्षी दलों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी इस मैच का विरोध हो रहा था। विपक्षी दलों ने इसे पहलगाम आतंकी हमले से पीड़ित परिवारों की भावनाओं से ऊपर पैसे को तरजीह देने का मामला बताया था। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।
गंभीर और सीनियर खिलाड़ी मैच के दौरान किसी भी समय हाथ न मिलाने पर एकमत थे। यह फैसला तुरंत नहीं लिया गया था, बल्कि काफी विचार-विमर्श के बाद लिया गया था। आखिर में बीसीसीआई के अधिकारियों ने इसे हरी झंडी दे दी।
यह समझा जाता है कि 'हाथ न मिलाना' एक नीतिगत निर्णय है, जो एशिया कप के दौरान भी जारी रहेगा। भारत और पाकिस्तान सुपर 4 और फिर उसके बाद 28 सितंबर को होने वाले फाइनल में आमने-सामने हो सकते हैं।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘‘देखिए, अगर आप नियम पुस्तिका पढ़ेंगे तो पाएंगे कि विरोधी टीम से हाथ मिलाने के बारे में कोई विशेष निर्देश नहीं है। यह सद्भावनापूर्ण कदम है और एक तरह की परंपरा है, न कि कानून, जिसका पालन खेल जगत में वैश्विक स्तर पर किया जाता है।‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई कानून नहीं है तो भारतीय क्रिकेट टीम उस विपक्षी टीम से हाथ मिलाने के लिए बाध्य नहीं है जिसके साथ तनावपूर्ण संबंधों का इतिहास रहा है।’’