निसार मिशन 90 दिन के महत्वपूर्ण कमीशनिंग चरण में पहुंचा
चेन्नई, एक अगस्त (भाषा) नासा और इसरो के बीच सहयोग के तहत शुरू किया गया ऐतिहासिक मिशन निसार अपने महत्वपूर्ण 90-दिवसीय कमीशनिंग चरण में पहुंच गया है। इस दौरान वैज्ञानिक उपग्रह को पूर्ण पैमाने पर पृथ्वी अवलोकन के लिए तैयार करने को लेकर कठोर अन्वेषण, अंशांकन (कैलिब्रेशन) और कक्षीय समायोजन करेंगे।
यह महत्वपूर्ण चरण 30 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के माध्यम से रडार इमेजिंग उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद शुरू हो रहा है।
नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के पृथ्वी विज्ञान प्रभाग में प्राकृतिक आपदा अनुसंधान के कार्यक्रम के प्रबंधक गेराल्ड डब्ल्यू बावडेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में जारी गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उन्होंने बताया, "निसार को 737 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है और हमें वास्तव में इसे 747 किलोमीटर तक ले जाना है। इन कार्यों में लगभग 45-50 दिन लगेंगे।"
उन्होंने कहा कि कमीशनिंग पूरी हो जाने के बाद रडार सक्रिय हो जाएंगे और यह पृथ्वी से डेटा एकत्र करना शुरू कर देंगे।
"इसका रिजॉल्यूशन 5 x 5 मीटर होगा और हम हर 12 दिन में इसकी इमेजिंग करेंगे। इसलिए यह बहुत सारा डेटा है। यह नासा द्वारा किसी भी अन्य मिशन में एकत्र किए गए डेटा से कहीं अधिक है।"
निसार मिशन के लिए बेंगलुरु में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ सहयोग से हासिल हुई प्रमुख सीख के बारे में वैज्ञानिक ने कहा कि नासा ने इसरो से सीखा कि विज्ञान किस प्रकार समाज की मदद कर सकता है, जबकि दूसरी ओर इसरो को भी नासा के वैज्ञानिक अनुसंधान पर गहन ध्यान से लाभ मिला।
बावडेन ने कहा कि इस परियोजना के जरिये दुनिया के दो विपरीत छोरों पर स्थित देश एक साथ आए।
उन्होंने कहा, "...हमारे बीच सांस्कृतिक भिन्नता और दूसरी बात यह है कि हम दुनिया के विपरीत छोर पर हैं। हमें साथ मिलकर काम करना है और तकनीक के प्रति हमारा प्रेम समान है।"
उन्होंने कहा, "(इसरो और नासा) दोनों के वैज्ञानिक एक साथ काम करके साझेदारी और मित्रता कायम कर रहे हैं। इस साझेदारी की सीमाएं एक अद्भुत उपग्रह बनाने से कहीं आगे हैं। दोनों देशों की टीम बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ काम कर रही हैं।"
इसरो के साथ सहयोग से नासा के लिए उपलब्ध अवसरों से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, नासा के पृथ्वी विज्ञान प्रभाग की कार्यक्रम अधिकारी संघमित्रा बी दत्ता ने कहा, "यह भारत और अमेरिका का पहला बड़ा पृथ्वी अवलोकन मिशन है। भारत भी इस मानव अंतरिक्ष उड़ान पर काम कर रहा है। इसलिए पिछले 4-5 वर्षों से अमेरिका और भारत के बीच इसको लेकर सहयोग जारी है।"
उन्होंने कहा, "अमेरिका और भारत के बीच सहयोग के तहत हाल ही में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री (सुभांशु शुक्ला) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गए थे। हमें एक-दूसरे के साथ काम करने को लेकर बहुत गर्व है और यह भविष्य में वाणिज्यिक क्षेत्र, अंतरिक्ष सहयोग और प्रौद्योगिकी विकास, विज्ञान के क्षेत्र में भी काम आएगा।"