गृह मंत्रालय का नए कार्यालय परिसर में शिफ्ट होने का काम प्रगति पर
नई दिल्ली, 24 जुलाई (वेब वार्ता)। देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐतिहासिक बदलाव हो चुका है जिस पते को पिछले 90 साल से "भारत की शक्ति" का प्रतीक माना जाता था अब वो सिर्फ इतिहास बनकर रह जाएगा। लुटियंस दिल्ली की हरी-भरी सड़कों और रायसीना हिल्स की ऊंचाइयों पर खड़ा वह विशाल और भव्य नॉर्थ ब्लॉक अब गृह मंत्रालय का पता नहीं रहेगा।
जी हां भारत सरकार का सबसे ताकतवर मंत्रालय गृह मंत्रालय अब अपने 90 साल पुराने घर को अलविदा कह चुका है। नया ठिकाना बना है कर्तव्य पथ पर स्थित चमचमाती 'कॉमन सेंट्रल सेक्रेटिएट' (सीसीएस-3) बिल्डिंग जो प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है।
बदला वो पता जिससे चलती थी देश की कमान
आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद दोनों दौर में नॉर्थ ब्लॉक सत्ता का प्रतीक रहा है। यहां बैठकर ही गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा सीमाओं कानून-व्यवस्था और आतंकवाद जैसे संवेदनशील मामलों की नीतियां तय करता था। लेकिन अब यह सब कुछ नए पते से होगा। सूत्रों के अनुसार गृह सचिव गोविंद मोहन और कुछ वरिष्ठ अधिकारी पहले ही सीसीएस-3 में स्थानांतरित हो चुके हैं। बाकी अधिकारी और कर्मचारी अगले कुछ दिनों में शिफ्ट कर दिए जाएंगे। यानी एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत हो चुकी है।
क्या खास है इस नई इमारत में?
कर्तव्य पथ पर बनी सीसीएस-3 बिल्डिंग सिर्फ ईंट-पत्थरों की नहीं बल्कि भारत के नए आत्मविश्वास की इमारत है। यहां पर गृह मंत्रालय के लिए 347 कमरे बनाए गए हैं। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं डिजिटलीकृत ऑफिस सिस्टम और पर्यावरण अनुकूल निर्माण शामिल है।
यह बिल्डिंग न सिर्फ गृह मंत्रालय बल्कि विदेश मंत्रालय पेट्रोलियम मंत्रालय ग्रामीण विकास डीओपीटी और एमएसएमई जैसे अन्य मंत्रालयों का भी नया घर बनेगी। यानी धीरे-धीरे नॉर्थ और साउथ ब्लॉक से सभी मंत्रालय शिफ्ट हो जाएंगे।
फिर क्या होगा नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का?
यह सवाल अब सबसे बड़ा है जब ये इतिहास रचने वाले भवन खाली हो जाएंगे तो क्या इनका इस्तेमाल बंद हो जाएगा? जवाब है – नहीं। बल्कि इन इमारतों को और भी भव्य उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जाएगा। सरकार की योजना है कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को 'युगे युगीन भारत' नाम के एक विश्व स्तरीय राष्ट्रीय संग्रहालय में बदला जाएगा।
इस संग्रहालय में 950 से अधिक कमरे होंगे और यह 1.55 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा। यह संग्रहालय भारतीय इतिहास संस्कृति कला और सभ्यता का अद्भुत संग्रह केंद्र बनेगा। कल्पना कीजिए जहां पहले अफसर और मंत्री बैठकर फैसले लिया करते थे वहां अब भारत की ऐतिहासिक धरोहरों की झलक मिलेगी। जहां कभी फाइलें घूमती थीं अब दर्शक घूमते नजर आएंगे।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
यह बदलाव सिर्फ एक स्थानांतरण नहीं बल्कि भारत के भविष्य की तैयारी है। दिल्ली के दिल में स्थित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत पुराने औपनिवेशिक ढांचे को आधुनिक व्यावसायिक और टिकाऊ स्वरूप दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सोच रही है कि भारत की राजधानी का प्रशासनिक ढांचा 21वीं सदी के अनुरूप होना चाहिए। पुराने भवनों की सीमित जगह और तकनीकी बाधाओं को ध्यान में रखते हुए नई बिल्डिंग्स में फ्यूचर-रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
क्या खोया क्या पाया?
नॉर्थ ब्लॉक से विदाई निश्चित रूप से भावनात्मक क्षण है। यहीं से देश ने इमरजेंसी देखी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की रणनीतियां बनीं और यहीं से 370 हटाने जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए गए। लेकिन साथ ही यह भी सच है कि अब भारत बदल चुका है। अब जरूरत है एक स्मार्ट डिजिटल और हरित प्रशासनिक केंद्र की जहां फैसले तेजी से हों और कामकाज ज्यादा प्रभावी ढंग से हो सके।
इतिहास से भविष्य की ओर
भारत अब अपने अतीत को सम्मान देकर भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है। नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की इमारतें अब भी वहीं रहेंगी लेकिन उनकी भूमिका बदल जाएगी। जहां कभी सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सियां थीं वहां अब इतिहास की कहानियां गूंजेंगी।
जहां कल तक देश की नीतियां बनती थीं वहां अब भारत की महान सभ्यता के अवशेष कला और संस्कृति प्रदर्शित होंगे। नॉर्थ ब्लॉक का द्वार अब बंद नहीं हो रहा बस उसका स्वरूप बदल रहा है।