सूरत की गोल्डन टेक्सटाइल मार्केट: शूट-साड़ी से लेकर आयात-निर्यात तक कारोबार का प्रमुख केंद्र
मेट्रो परियोजना से व्यापार प्रभावित, 15 प्रतिशत से अधिक दुकानें खाली
रिंग रोड स्थित मान दरवाज़ा क्षेत्र में स्थित गोल्डन प्लाज़ा टेक्सटाइल मार्केट सूरत की एक प्रतिष्ठित और बहुआयामी व्यापारिक केंद्र के रूप में जानी जाती है। 425 दुकानों वाली इस होलसेल मार्केट का दायरा न केवल भारत के विभिन्न राज्यों तक फैला है, बल्कि यह विदेशों में भी अपने टेक्सटाइल उत्पादों की पहचान बनाए हुए है।
इस बाजार का संचालन एक सुव्यवस्थित प्रबंधन टीम द्वारा किया जाता है। इसमें अध्यक्ष विश्वनाथ खंडेलवाल, उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता (CA), सचिव दिनेश द्विवेदी, उप सचिव विनोद अग्रवाल, कोषाध्यक्ष मदन पुजारी, उप कोषाध्यक्ष सुनील मावड़िया और प्रकाश पटेल शामिल हैं। प्रबंधन की बागडोर वर्षों से महेंद्र पवार संभाल रहे हैं।
व्यापारियों और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे मार्केट परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही, विशेष पार्किंग व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता के अनुसार, गोल्डन मार्केट में मुख्य रूप से शूट, साड़ी, गारमेंट्स, लहंगा आदि की होलसेल बिक्री होती है। साथ ही, बाजार में सीए ऑफिस और अन्य प्रोफेशनल सेवाएं भी कार्यरत हैं, जो व्यापारिक संचालन को अधिक संगठित बनाते हैं।
हालांकि, सचिव दिनेश द्विवेदी का कहना है कि उधना दरवाज़ा से कमेला दरवाज़ा तक चल रही मेट्रो परियोजना के कारण व्यापार में गिरावट आई है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव दुकान की कीमतों पर पड़ा है, जहाँ पहले एक दुकान की कीमत रु.35 लाख थी, अब वही रु.25 लाख में भी खरीदार नहीं मिल रहा है।
इस कारण लगभग 15–20 प्रतिशत दुकानें खाली पड़ी हैं। व्यापारियों का यह भी आरोप है कि सूरत महानगर पालिका द्वारा संपत्ति कर, कंज़र्वेन्सी चार्ज, शिक्षण शुल्क, वाटर चार्ज और प्रॉपर्टी टैक्स वसूले जाने के बावजूद सुविधाएं न के बराबर हैं, जिससे व्यापार में लाभ प्रतिशत लगातार घटता जा रहा है।
सूरत की गोल्डन मार्केट एक अत्यंत महत्वपूर्ण टेक्सटाइल केंद्र है, लेकिन वर्तमान समय में यह शहरी विकास परियोजनाओं और प्रशासनिक चुनौतियों से जूझ रही है। व्यापारी संगठन उम्मीद कर रहा है कि स्थानीय प्रशासन व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए त्वरित और व्यावहारिक समाधान प्रदान करेगा।