सूरत : एसजीसीसीआई के सेमिनार में आयकर, एमएसएमई समाधान और जीएसटी आईटीसी पर गहन चर्चा
कर विशेषज्ञों ने धारा 43 बी(एच), एमएसएमई पोर्टल के लाभ और जीएसटी आईटीसी की बारीकियों पर दी महत्वपूर्ण जानकारी
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) और दक्षिण गुजरात आयकर बार एसोसिएशन (एसजीआईटीबीए) के संयुक्त तत्वावधान में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर विषय पर आयोजित अध्ययन सर्कल श्रृंखला का तीसरा सत्र नानपुरा, सूरत स्थित समृद्धि भवन में संपन्न हुआ।
इस सेमिनार का मुख्य विषय आयकर धारा 43 बी(एच) के साथ-साथ एमएसएमई समाधान और जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से जुड़ी समस्याओं की तह तक जाना था, जिस पर विशेषज्ञ वक्ताओं सीए मनीष बजरंग और सीए विक्रांत घयाल ने विस्तृत जानकारी प्रदान की।
सीए मनीष बजरंग ने आयकर की धारा 43 बी (एच) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रावधान अप्रैल 2023 से लागू हो गया है, लेकिन इसके बारे में जागरूकता मुख्य रूप से जनवरी 2024 से आई। उन्होंने बताया कि जब किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट को व्यापारियों की लेखा पुस्तकों या रिटर्न से संबंधित फाइल मिलती है, तो वह उचित विश्लेषण करके व्यापारी को यह सूचित कर सकता है कि भुगतान कब किया जाना चाहिए, जिससे वे संभावित जटिलताओं से बच सकें।
इसके अतिरिक्त, सीए बजरंग ने एमएसएमई समाधान पोर्टल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस पर पंजीकृत व्यापारी दूसरे पक्ष द्वारा किए गए अनुचित आचरण के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ₹25 करोड़ से कम निवेश और ₹100 करोड़ से कम टर्नओवर वाले व्यापारी इस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन केस कार्यवाही में शामिल होकर लाभ उठा सकते हैं।
सेमिनार के दूसरे विशेषज्ञ वक्ता, सीए विक्रांत घयाल ने जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने क्रेता और आपूर्तिकर्ता की राशि में अक्सर होने वाली विसंगतियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि जीएसटी संग्रह के मामले में गुजरात देश में तीसरे स्थान पर है।
सीए घयाल ने स्पष्ट किया कि जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यक्ति द्वारा आईटीसी का दावा तभी किया जा सकता है जब वह सभी निर्धारित शर्तों को पूरा करता हो। उन्होंने आगे बताया कि व्यावसायिक उद्देश्यों या व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिए आईटीसी का दावा किया जा सकता है, जबकि व्यक्तिगत उपयोग या छूट प्राप्त आपूर्ति के लिए और सीजीएसटी अधिनियम की धारा 17(5) के तहत आईटीसी उपलब्ध नहीं है।
कार्यक्रम की शुरुआत में चैंबर ऑफ कॉमर्स की प्रबंध समिति के सदस्य सीए जनक पच्चीगर ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर एसजीआईटीबीए के अध्यक्ष कुलीन पाठक और कई कर पेशेवर उपस्थित थे। सेमिनार का कुशल संचालन चैंबर की आयकर समिति के सह-अध्यक्ष दीपेश शकवाला ने किया, जबकि एसजीआईटीबीए प्रबंध समिति के सदस्य एडवोकेट तुषार वकीलना और एडवोकेट जयश्री गोवर वकीलना ने वक्ताओं का परिचय कराया।
एसजीआईटीबीए के पूर्व अध्यक्ष अनिल शाह और रेखा कायस्थ ने प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन किया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी जिज्ञासाओं का समाधान पाया। अंत में, एसजीआईटीबीए की प्रबंध समिति के सदस्य एडवोकेट श्री हरिकृष्ण रूपावाला ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सेमिनार का समापन किया।