सूरत : हीरा श्रमिकों को राहत, जीजेईपीसी देगी 35,000 रुपये का स्वास्थ्य बीमा और बच्चों को शैक्षणिक सामग्री

रत्न कलाकारों के लिए विशेष पहचान पत्र के आधार पर ही मिलेगा बीमा और अन्य लाभ; मंदी से जूझते श्रमिकों को बड़ी राहत

सूरत : हीरा श्रमिकों को राहत, जीजेईपीसी देगी 35,000 रुपये का स्वास्थ्य बीमा और बच्चों को शैक्षणिक सामग्री

सूरत। देश के प्रमुख हीरा उद्योग केंद्र सूरत में मंदी से प्रभावित रत्न कलाकारों (हीरा श्रमिकों) के लिए राहत की खबर आई है। रत्न एवं आभूषण संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने हीरा श्रमिकों के लिए 35,000 रुपये तक का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा और उनके बच्चों के लिए शैक्षणिक नोटबुक वितरित करने की योजना शुरू की है। यह योजना केवल उन श्रमिकों को उपलब्ध होगी जिनका पंजीकरण जीजेईपीसी द्वारा किया गया हो और जिनके पास आधिकारिक पहचान पत्र होगा।

पिछले दो वर्षों से हीरा उद्योग गंभीर आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, और बीते छह महीनों में लेब्रोन डायमंड और रियल डायमंड क्षेत्र में गिरावट ने श्रमिकों की कमर तोड़ दी है। सूरत में कई रत्न कलाकारों ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया, जिससे स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हीरा श्रमिक संघ ने विरोध रैली का आयोजन किया था।

हीरा उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों लोग इस संकट का सामना कर रहे हैं। काम के घंटों में कटौती और वेतन में 50 प्रतिशत तक की गिरावट के चलते श्रमिकों के सामने परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की शिक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है। इन हालातों को देखते हुए राज्य सरकार ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए एक विशेष समिति गठित करने और आर्थिक सहायता योजना पर विचार करने का निर्णय लिया है।

इसी के तहत जीजेईपीसी ने पहले चरण में पंजीकृत रत्न कलाकारों को बीमा का लाभ देने का फैसला किया है। परिषद की अध्यक्ष जयंती सावलिया ने बताया कि, “हम रत्न कलाकारों के लिए परिचय पत्र बनाने का कार्य कर रहे हैं। इस कार्य में डायमंड एसोसिएशन, ज्वेलरी एसोसिएशन और डायमंड वर्कर्स यूनियन को भी शामिल किया गया है।”

श्रमिकों का आधार कार्ड और बैंक विवरण एकत्र कर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके बाद ही लाभार्थियों को बीमा और शैक्षणिक सामग्री जैसे नोटबुक वितरित की जाएंगी। सावलिया ने स्पष्ट किया कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए केवल पंजीकृत श्रमिकों को ही योजना का लाभ दिया जाएगा।

हीरा उद्योग की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कदम रत्न कलाकारों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। हालांकि, इस योजना का सफल क्रियान्वयन श्रमिकों के समुचित पंजीकरण और पहचान प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।