सूरत : "सरकार ने लिया पहलगाम हमले का बदला: पीड़ित परिवारों ने जताई संतोष की भावना"

"ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीड़ित महिलाओं ने कहा – शहीदों की आत्मा को मिलेगी शांति, भारतीय सेना पर है गर्व"

सूरत :

ऑपरेशन सिंदूर

सूरत/भावनगर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपने परिजनों को खोने वाले परिवारों ने भारत सरकार द्वारा किए गए जवाबी हमले को न्याय की शुरुआत बताया है। मंगलवार, 22 अप्रैल को हुए इस नृशंस हमले में सूरत के शैलेश हिम्मतभाई कलथिया समेत 27 लोगों की जान गई थी। अब जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई की है, तो शहीदों के परिजनों ने इसे उचित प्रतिशोध करार दिया है।

शहीद शैलेशभाई कलथिया की पत्नी शीतलबेन ने कहा, “मुझे सरकार पर पूरा भरोसा था और आज वह भरोसा सही साबित हुआ। मेरे पति की आत्मा को अब शांति मिलेगी। पाकिस्तान को उचित जवाब दिया गया है। जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार ने हमारी मदद की, उसी तरह गुजरात सरकार को भी हमारे बच्चों के भविष्य के लिए और सहायता देनी चाहिए।”

घटना वाले दिन शैलेशभाई अपनी पत्नी शीतलबेन, बेटी नीति और बेटे नक्षत्र के साथ कश्मीर भ्रमण पर थे। पहलगाम से बैसरन घाटी के लिए घुड़सवारी करते समय आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया था। गोलीबारी में शैलेशभाई की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी, जबकि परिवार के बाकी सदस्य किसी तरह बच निकले।

इसी हमले में भावनगर की काजलबेन परमार ने भी अपने पति यतीश परमार और बेटे स्मित परमार को खो दिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जो दर्द मेरे ऊपर टूटा है, वह किसी और भारतीय मां या बेटी पर न आए। मुझे भारतीय सेना पर गर्व है। मोदी जी मेरे लिए भगवान के समान हैं। आज मुझे कुछ शांति मिली है।”

काजलबेन ने पहलगाम में हुए हमले की भयावहता को याद करते हुए बताया, “हम करीब 12 लोग मोरारी बापू की कथा के बाद पहलगाम पहुंचे थे। वहां पहुंचने के पांच मिनट बाद ही गोलियां चलने लगीं। आतंकियों ने मेरे पति और बेटे को ज़मीन पर लेटने को कहा और वहीं गोली मार दी। जब पीछे मुड़कर देखा तो दोनों खून में लथपथ थे।”

परिजनों का कहना है कि यह जवाबी कार्रवाई केवल सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि उनके लिए एक भावनात्मक न्याय है। देश की सुरक्षा एजेंसियों और सेना पर गहरा विश्वास जताते हुए उन्होंने मांग की है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और आतंक के खिलाफ कड़ा रुख हमेशा बरकरार रखा जाए।

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