असाध्य रोगियों के लिए श्री करौली शंकर धाम बना जीवन की नई आशा का केंद्र
नई दिल्ली, अप्रैल 28: कानपुर स्थित श्री करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम में अमावस्या के पावन अवसर पर आज सुबह 11:00 बजे से नि:शुल्क दिव्य वैदिक अनुष्ठान का दूसरा चरण आयोजित किया गया। इस नि:शुल्क कार्यक्रम में कुल 247 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें असाध्य रोग (कैंसर सहित) से पीड़ित लोग, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे और बीपीएल कार्ड धारक शामिल थे। आयोजन का स्वरूप पूर्व की भांति था, लेकिन इस बार प्रतिभागियों की संख्या पहले की तुलना में अधिक रही।
अनेक प्रतिभागी जो पिछली बार इस अनुष्ठान में शामिल हुए थे, इस बार फिर से जुड़े और अपने अनुभव साझा किए।इस नि:शुल्क दिव्य वैदिक अनुष्ठान का उद्देश्य रोगियों के दिमाग से नकारात्मक बीमारियों की स्मृतियों को मिटाकर उन्हें आरोग्य की दिव्य ऊर्जा से नवाज़ना है। इसे पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी के सानिध्य और आशीर्वाद में संपन्न किया गया। गुरुजी ने बताया कि यह अनुष्ठान रोगियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से सशक्त बनाकर स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने का मार्ग है। आयोजन में पूर्ण गुरु पंडित श्री राधा रमण जी मिश्र के सिद्धांतों के साथ-साथ माँ कामरूप कामाख्या माता और माँ महाकाली की दिव्य शक्तियों की उपस्थिति से भी सभी को आशीर्वाद मिलने की कामना की गई।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, आध्यात्मिक विश्वास और धार्मिक अभ्यास से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, कोलंबिया यूनिवर्सिटी की शोध बताती है कि आध्यात्मिक आस्था से चिंता और अवसाद जैसे लक्षणों में कमी आती है तथा व्यक्ति अधिक प्रसन्नचित्त रहता है। इसी प्रकार, अनुसंधान में पाया गया है कि धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथाएँ मनुष्य को आशा, अर्थ और उद्देश्य की अनुभूति देकर समग्र स्वास्थ्य को सुदृढ़ करती हैं। ऐसे विचारों के बीच इस नि:शुल्क दिव्य अनुष्ठान ने 247 प्रतिभागियों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास से लैस कर रोग मुक्ति की आशा जगाई। इस अनुष्ठान में देश भर के विभिन्न राज्यों से लोग शामिल हुए – केरला, असम, गुजरात, बिहार आदि से आए हुए प्रतिभागी उपस्थित थे। इनमें अधिकांश गरीब एवं बीपीएल कार्डधारी परिवार के सदस्य थे।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रामकुमार मिश्रा (51 वर्ष) ने कहा, “मैं पहले भी इस अनुष्ठान में आ चुका हूँ और अब भी यहाँ आकर मुझे अद्भुत ऊर्जा का अनुभव हो रहा है।” नंदिनी देवी ने जो अपसामान्य ज्वर से पीड़ित थीं, बताया कि माता कामाख्या और महाकाली का आशीर्वाद पाकर उन्हें विशेष राहत महसूस हुई है। एक अन्य प्रतिभागी ने साझा किया कि आयोजन से पहले नकारात्मकता में थे, लेकिन पूजा-कर्म और मंत्रोच्चार ने उन्हें आशावाद से भर दिया। इस तरह के आध्यात्मिक आयोजनों का मानव कल्याण में विशेष महत्व है।
विशेषज्ञों के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान और सकारात्मक सोच रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं और उम्मीद की एक नई किरण जगाते हैं।
इसी प्रयास में हरिद्वार स्थित मिश्री मठ के तृतीय मठाधीश, पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी निरंतर समर्पित हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत मई में होने वाली अमावस्या जो कि 26 मई 2025 को है उस दिन अगला निशुल्क वैदिक अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा।
इस नि:शुल्क दिव्य वैदिक अनुष्ठान ने न केवल रोगियों में नवजीवन की आशा भरी, बल्कि सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के परिवारों को भी स्वास्थ्य व सुख-समृद्धि की दिशा में आत्मविश्वास दिया है। आयोजन के समापन पर अनेक प्रतिभागियों ने ऊर्जा एवं उत्साह में वृद्धि की बात कही, वहीं पूर्व में आए लोगों ने स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार की गाथा सुनाई। इस प्रकार करौली शंकर धाम की पहल एक व्यापक आध्यात्मिक एवं मानवतावादी मिशन की द्योतक बनी है, जो हर वर्ग के व्यक्ति को स्वस्थ, निःशुल्क और प्रेरित जीवन की ओर ले जाने का संदेश देती है।