सूरत : घनश्याम दास सेवग, मेहनत, सफलता और समाजसेवा की जीवंत मिसाल

सूरत की मिठाई संस्कृति को नई पहचान देने वाले सेवग का जीवन युवाओं के लिए है प्रेरणास्त्रोत

सूरत : घनश्याम दास सेवग, मेहनत, सफलता और समाजसेवा की जीवंत मिसाल

राजस्थान के बीकानेर शहर से निकलकर गुजरात के सूरत में अपनी मेहनत और ईमानदारी से एक खास पहचान बनाने वाले घनश्याम दास सेवग आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बीते 47 वर्षों से सूरत में रह रहे सेवग ने अपने संघर्ष, संकल्प और सेवा के बल पर न केवल व्यापार में सफलता प्राप्त की, बल्कि समाज सेवा में भी अहम भूमिका निभाई।

1975 में जब घनश्याम दास सेवग पहली बार सूरत आए, तब शहर में गिने-चुने दो बाज़ार सूरत टेक्सटाइल मार्केट और रेशम वाला मार्केट ही हुआ करते थे। अपनी जीविका की शुरुआत उन्होंने घर पर पापड़, सेव, भुजिया और रसगुल्ला बनाकर बाजारों में पैदल घूम-घूमकर बेचने से की। इसके बाद उन्होंने चाय बेचना शुरू किया, और फिर एक छोटी मिठाई की दुकान से व्यापार की नींव रखी।

ग्राहकों की पसंद और प्रोत्साहन से उन्होंने "शिव शक्ति स्वीट्स" नामक एक बड़ी दुकान शुरू की, जो आज सूरत की मिठाइयों की पहचान बन चुकी है। तीन शाखाओं के साथ आज ये ब्रांड रस मलाई, काजू कतरी, दूध का ग्लास जैसी मिठाइयों और समोसा, कचौड़ी जैसी नमकीनों के लिए प्रसिद्ध है।

सेवग जी ने बताया कि उन्होंने सिर्फ कक्षा 7 तक की पढ़ाई की है, लेकिन जीवन में जो कुछ भी पाया, वह केवल मेहनत और लगन का फल है। उनका विश्वास है कि "डिग्री नहीं, मेहनत और ईमानदारी इंसान को सफलता की ऊंचाई पर पहुंचाती है।"

 समाजसेवा में भी अग्रणी  

व्यवसायिक सफलता के साथ-साथ घनश्याम सेवग धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं में भी सक्रिय हैं। वे विप्र फाउंडेशन के अध्यक्ष, सांखदीप्य सेवक समाज के अध्यक्ष, नरेंद्र मोदी विचार मंच में दक्षिण गुजरात प्रभारी, कामारोहन मंदिर (वड़ोदरा) के मेन ट्रस्टी और राजस्थान स्थित एक अस्पताल के ट्रस्टी के रूप में सेवा दे रहे हैं।

घनश्याम दास सेवग की कहानी न केवल संघर्ष से सफलता की मिसाल है, बल्कि यह दर्शाती है कि सेवा और सच्ची लगन से कोई भी व्यक्ति समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन हर युवा के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

घनश्याम दास सेवग आज भी निभा रहे हैं बड़े भाई की भूमिका
 
जहां आज के समय में संयुक्त परिवार एक अपवाद बनते जा रहे हैं, वहीं घनश्याम दास सेवक का परिवार इस परंपरा को जीवंत रखे हुए है। मूल रूप से बीकानेर, राजस्थान से संबंध रखने वाला सेवक परिवार 6 भाइयों का भरा-पूरा परिवार है, जो आज भी एक ही छत के नीचे प्रेमपूर्वक और अनुशासित जीवन जी रहा है। इस परिवार की सबसे अनूठी बात यह है कि सभी भाइयों के परिवारों का भोजन एक ही रसोई में तैयार होता है, और पूरा परिवार एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करता है। यह न केवल एकता का प्रतीक है, बल्कि परिवार के बीच गहरा जुड़ाव और स्नेह को भी दर्शाता है।

इतना ही नहीं, सेवक परिवार में शादी-ब्याह, धार्मिक आयोजनों व सामाजिक कार्यों की सारी जिम्मेदारियों का नेतृत्व घनश्याम दास सेवक स्वयं करते हैं। वे अपने सभी भाइयों और उनके बच्चों के मार्गदर्शक और सहारा बने हुए हैं। वे न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि एक संवेदनशील परिवार मुखिया भी हैं, जो हर सदस्य के सुख-दुख में बराबर के भागीदार हैं। आज के दौर में जहां संयुक्त परिवारों का विघटन आम बात हो गई है, ऐसे में सेवग परिवार एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जिसमें परंपरा, अनुशासन और परिवार के प्रति समर्पण की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

Tags: Surat