सूरत : ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर एसजीसीसीआई का संवाद सत्र आयोजित
बार-बार चुनाव से विकास कार्य प्रभावित होते हैं, उद्योगों को होता है नुकसान
सूरत: दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) द्वारा 20 मार्च 2025 को सरसाणा स्थित प्लेटिनम हॉल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव एवं उद्योगों पर इसका प्रभाव’ विषय पर संवाद सत्र आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और सूरत जिला सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक नयन सुखडवाला ने अपने विचार व्यक्त किए।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव हमारे लोकतंत्र और आर्थिक व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक पहल है।" इससे प्रशासनिक लागत कम होगी, नीतिगत स्थिरता आएगी और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए व्यापार करना आसान होगा।
भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने वक्तव्य में कहा कि लगातार चुनावी माहौल के कारण विकास कार्य अवरुद्ध हो जाते हैं। चुनाव कार्य में सरकारी अधिकारी और संसाधन व्यस्त रहने से नीतियां निष्क्रिय हो जाती हैं। मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी, जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा। "एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू होने से देश की विकास दर तेज होगी और राजनीति में स्थिरता आएगी।"
लोक अभियोजक नयन सुखडवाला ने वक्तव्य में कहा कि बार-बार चुनाव से प्रवासी श्रमिकों को अपने गृह राज्य लौटना पड़ता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। उत्पादन गिरने से महंगाई बढ़ती है, जो आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक है। "वन नेशन, वन इलेक्शन लागू होने से चुनाव पर खर्च होने वाली सरकारी धनराशि भी कम होगी।"
चैंबर के पूर्व अध्यक्ष एवं शहर भाजपा अध्यक्ष परेश पटेल ने कहा कि पहले पांच आम चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन बाद में यह व्यवस्था बदल गई।"बार-बार चुनाव होने से उद्योगों और व्यापारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।" देश के विकास के लिए एक साथ चुनाव कराने की पुरानी परंपरा को दोबारा लाना आवश्यक है।
इस संवाद सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की आवश्यकता और इसके औद्योगिक व आर्थिक प्रभावों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली प्रशासनिक स्थिरता लाएगी, चुनावी खर्च कम करेगी और देश के औद्योगिक विकास को गति देगी।