गुजरात उच्च न्यायालय ने आदिवासी महिला पर हमले का संज्ञान लिया, कार्रवाई रिपोर्ट मांगी
अहमदाबाद, चार फरवरी (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने दाहोद जिले में एक आदिवासी महिला को भीड़ द्वारा पीटे जाने और उसे निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। इसने घटना के वीडियो प्रसारित होने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।
न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल राज्य भर में महिलाओं की सामाजिक और मानसिक स्थिति पर असर डालती हैं, बल्कि इनके ‘‘निरंकुश सोशल मीडिया के कारण व्यापक प्रभाव’’ भी हैं।
मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी। घटना 28 जनवरी की है।
प्राथमिकी के अनुसार, 35 वर्षीय पीड़िता का कथित तौर पर गांव के एक व्यक्ति के साथ संबंध था। जब वह उससे मिल रही थी तो उसके पति के परिवार के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ ने हमला बोल दिया।
इसमें कहा गया कि भीड़ ने उसके साथ मारपीट की, उसे आंशिक रूप से निर्वस्त्र कर दिया और उसके हाथों को जंजीर से बांधकर गांव में घूमने के लिए मजबूर किया।
दर्ज मामले के अनुसार, फिर उसे मोटरसाइकिल से बांध दिया गया और घर ले जाकर अंदर बंद करने से पहले मुख्य सड़क पर घसीटा गया।
पुलिस के अनुसार, 29 जनवरी को 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिनमें से 12 लोगों- चार पुरुषों, चार महिलाओं और चार किशोरों को 31 जनवरी तक हिरासत में रखा गया और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया।