सूरत :  शांति, समृद्धि और कल्याण के दाता भगवान शंकर : स्वामी गोविंददेव गिरिजी 

सूरत :  शांति, समृद्धि और कल्याण के दाता भगवान शंकर : स्वामी गोविंददेव गिरिजी 

भगवान शिव की आराधना से व्यक्ति धार्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर होते हुए सुख-शांति का अनुभव करता है

शहर के वेसू कैनाल रोड पर शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन मंगलवार को स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने श्री शिव महापुराण कथा व्यासपीठ से कथा का रसपान करवाते हुए कहा कि भगवान शिव को जिसने अंतःकरण में बसा लिया वह अन्य कुछ करें ना करें, उसे समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। बहिरंग में समृद्धि और अंतरंग में शांति। भगवान महादेव की दिव्य लीला को देखकर  ब्रह्मा व विष्णु के बीच में ज्योति स्तंभ के रूप में जिस समय भगवान महादेव का प्राकट्य हुआ वह दिन उनको प्रिय माना गया और हम लोग उसी को शिवरात्रि के रूप में सर्वाधिक प्राधान्यता देकर भगवान महादेव का पूजन करते हैं। 

महाराजजी ने कहा कि भगवान शिव की आराधना से मनुष्य अविद्या से मुक्ति प्राप्त कर सकत है और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता हे। भगवान शिव की आराधना मन, शरीर, और आत्मा के संयम, समर्पण, और निःस्वार्थ भाव से किया जाना चाहिए। उनकी आराधना से व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर होता हैं और सच्चे सुख और शांति का अनुभव करता हैं। सर्वशक्तिमान् के किसी भी रूप को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक है पूर्ण शरणागति अन्नयता और निरनंतर उन्हें याद रखना। बस यही काफी है। भगवान शिव की आराधना का महत्व वैदिक धर्म, पुराण, और हिंदू धर्म के अनुसार अधिक उच्च है। भगवान शिव त्रिमूर्ति में से एक हैं।  

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दक्षिण भारत में पांच तत्वों के पांच अलग-अलग लिंग है। काशी में शरीर छोड़ने से जीवात्मा मुक्त होता है। लेकिन अरूणाचलेश्वर का स्मरण करने से मुक्त हो जाता है। भगवान महादेव के पांच कार्य निरंतर चलते हैं। जो है वह नष्ट नहीं होगा और जो नहीं है वह निर्माण नहीं होगा। सारी एनर्जी का सम एक ही है और वह कभी भी बदलता नहीं हैं। ये बात वेदांत शास्त्र के अनुकूल है। पूरा विश्व चैतन्यमय है, एक ही शक्ति है। लेकिन वह अनेक रूपों में प्रकट होती है तब हम समझते है सृष्टी हुई। कथा के दौरान स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज का माल्यार्पण कर जेपी अग्रवाल, ताराचंद खुराना, प्रमोद कंसल ने आशीर्वाद प्राप्त किया।

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