केरल : इतिहास के पन्नों में 02 अक्टूबरः भारत के महान चित्रकार राजा रवि वर्मा का निधन
भारत में पेंटिंग्स के क्षेत्र में अद्वितीय माने जाने वाले राजा रवि वर्मा का 2 अक्टूबर 1906 को 58 साल की उम्र में निधन हो गया
केरल : भारत में पेंटिंग्स के क्षेत्र में अद्वितीय माने जाने वाले राजा रवि वर्मा का 2 अक्टूबर 1906 को 58 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें भारतीय कला के इतिहास में सबसे महान चित्रकारों में से एक माना जाता है।
भारतीय चित्रकला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स आज भी करोड़ों में बिकती हैं। भारतीय घरों से लेकर दुकानों तक देवी और देवताओं के जितने भी पोस्टर या पेंटिंग्स मौजूद हैं, उनके पीछे राजा रवि वर्मा का सबसे अहम योगदान है। उन्होंने ही सबसे पहले अपनी पेंटिंग्स में भगवान और देवियों को इंसानी चेहरा दिया। उन्हें राजा का खिताब लॉर्ड कर्जन ने दिया था।
राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 में केरल के त्रावणकोर के किलिमन्नूर गांव में हुआ था। पाँच वर्ष की उम्र में ही उन्होंने घर की दीवार पर आड़े-तिरछे अंदाज में पेंटिंग शुरू कर दी थी। उनके चाचा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। चौदह साल की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की। उन्होंने पहले पारम्परिक तंजौर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रन्थों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू देवी-देवताओं का बहुत प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता है।