अहमदाबाद : आदिवासी क्षेत्रों में माताओं व बच्चों की सेहत को संजीवनी दे रही गुजरात की योजना
पोषण सुधा योजना के अंतर्गत पिछले वर्ष 90,249 गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को दिया पौष्टिक आहार
अहमदाबाद, 7 अगस्त (हि.स.)। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों में पोषण की स्थिति में सुधार के लिए दूध संजीवनी योजना शुरू की गई थी। आज मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में लाखों आदिवासी महिलाएं और बच्चे दूध संजीवनी योजना का लाभ उठा रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में यानी 2014-15 से 2023-24 तक दूध संजीवनी योजना के अंतर्गत कुल 87 लाख 89 हजार से अधिक लाभार्थियों को फ्लेवर्ड दूध का लाभ दिया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राज्य के पांच जिलों के केवल 10 आदिवासी घटकों के लिए शुरू की गई पोषण सुधा योजना का दायरा बढ़ाया गया। अब राज्य के सभी 14 आदिवासी जिलों के 106 घटकों में इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। पोषण सुधा योजना के तहत वर्ष 2023-24 में आदिवासी क्षेत्रों के 90,249 लाभार्थियों को पौष्टिक आहार का लाभ दिया गया है।
संजीवनी बनी ‘दूध संजीवनी योजना’
‘स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर जरूरी है’, इस मंत्र को साकार करने के उम्दा भाव से तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 24 दिसंबर, 2009 को ‘दूध संजीवनी योजना’ शुरू की थी, जिसका उद्देश्य आदिवासी बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं (6 महीने तक के शिशु की माताएं) के पोषण स्तर में सुधार करना है। इस योजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्र के 6 महीने से 6 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को सप्ताह में 5 दिन 100 मिली, जबकि गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को सप्ताह में 2 दिन 200 मिली फोर्टिफाइड फ्लेवर्ड दूध दिया जाता है।
इस योजना के अंतर्गत गत 10 वर्षों में कुल 12,021 करोड़ रुपए की लागत से 87,89,105 लाभार्थियों को फोर्टिफाइड फ्लेवर्ड दूध का लाभ दिया गया है। अभी इस योजना के तहत पूरे राज्य में 10 लाख से अधिक लाभार्थी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। दूध संजीवनी योजना के परिणामस्वरूप आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण की स्थिति में सुधार दिखाई दिया है।
माता और नवजात के लिए वरदान बनी ‘पोषण सुधा योजना’
किसी भी महिला के जीवन में गर्भावस्था और स्तनपान कराने की अवस्था काफी महत्वपूर्ण होती है। माता के गर्भ में मौजूद शिशु के लिए तथा जन्म के बाद उसे स्तनपान कराने के लिए माता को अधिक मात्रा में पोषण की जरूरत होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने 18 जून, 2022 को पोषण सुधा योजना अर्थात स्पॉट फीडिंग कार्यक्रम शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य राज्य के सभी आदिवासी जिलों की तमाम आदिवासी तहसीलों के आंगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण की स्थिति में सुधार करना, एनीमिया रोग वाले तथा जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की दर को कम करना, और प्रसव के परिणामों में सुधार लाना है।
90,249 महिलाओं को मिला पौष्टिक भोजन का लाभ
पोषण सुधा योजना के अंतर्गत आंगनवाड़ी में पंजीकृत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को एक समय का पूर्ण पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, आयरन और कैल्शियम की गोलियों के साथ-साथ स्वास्थ्य और पोषण पर शिक्षा भी दी जाती है। योजना की निगरानी और समीक्षा के लिए विशेष मोबाइल एप्लीकेशन भी बनाया गया है। इस योजना के तहत वर्ष 2023-24 में 90,249 गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार का लाभ दिया गया है। इस योजना के चलते आदिवासी क्षेत्रों में मातृ मृत्यु और बाल मृत्यु दर में कमी तथा माता और नवजात के पोषण स्तर में सुधार के साथ ही कम वजन के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं की दर में भी कमी के अपेक्षित परिणाम मिलने की उम्मीद है।