गुजरात: प्राथमिक शिक्षा में छात्राओं की स्कूल ड्रॉपआउट दर केवल 1.31 फीसदी

कन्या केलवणी रथयात्रा के चलते राज्य की कन्याओं की शिक्षा में हुआ सुधार

गुजरात: प्राथमिक शिक्षा में छात्राओं की स्कूल ड्रॉपआउट दर केवल 1.31 फीसदी

व्हाली दीकरी’ योजना के तहत 2 लाख से अधिक बेटियों को मिली शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता

गांधीनगर, 25 जून (हि.स.)। गुजरात की अधिक से अधिक बेटियां शिक्षा हासिल करें और देश के विकास में अपना सार्थक योगदान दें, इसके लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष कन्या केलवणी रथयात्रा कार्यक्रम का आयोजन करती है। इस वर्ष भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणी रथयात्रा कार्यक्रम की 21वीं कड़ी का आयोजन किया गया है। शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणी रथयात्रा के माध्यम से महिला साक्षरता की दर में सुधार हो रहा है, साथ ही प्राथमिक शिक्षा में लड़कियों की ड्रॉपआउट दर में भी कमी आई है। प्राथमिक शिक्षा में (कक्षा 1 से 5) छात्राओं की ड्रॉपआउट दर जो वर्ष 2001-02 में 20.53 फीसदी थी, वह वर्ष 2022-23 में घटकर 1.31 फीसदी रह गई है।

राज्य सरकार ने कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कन्या केलवणी रथयात्रा के अलावा विद्यालक्ष्मी बॉन्ड योजना, व्हाली दीकरी योजना, सरस्वती साधना योजना और मुख्यमंत्री कन्या केलवणी निधि योजना जैसी शैक्षणिक पहलों और योजनाओं को लागू किया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को भी राज्य में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा तक बेटियों को विभिन्न आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिससे राज्य में लड़कियों के लिए शिक्षा की राह सुगम बन गई है। राज्य सरकार द्वारा पिछले दो दशकों से गुजरात में प्राथमिक शिक्षा को गतिशील बनाने के लिए गुणात्मक शिक्षा, 100 फीसदी नामांकन और 100 फीसदी स्थायीकरण के तीन उद्देश्यों के साथ शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन की दिशा में ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा, राज्य में महिला साक्षरता की दर बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।

व्हाली दीकरी योजना के तहत 2 लाख से अधिक छात्राओं को मिली शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता : सरकार ने इस बात की भी फिक्र की है कि राज्य की बेटियां प्राथमिक स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक, पढ़-लिखकर आगे बढ़े। बेटियों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने तथा उनकी स्कूल ड्रॉपआउट की दर में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने व्हाली दीकरी योजना लागू की है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा बेटी के 18 वर्ष की होने तक चरणबद्ध तरीके से 1,10,000 रुपए की सहायता दी जाती है। इस योजना की शुरुआत से वर्ष 2024 तक 2,37,012 बेटियों का पंजीकरण किया गया है। लाभार्थी बेटियों को इस योजना का लाभ अगले वर्ष 2025-26 से मिलने लगेगा। इसके अलावा, राज्य सरकार ने राज्य में कन्या शिक्षा का अनुपात बढ़ाने, कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने और स्कूलों में बेटियों का 100 फीसदी नामांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विद्यालक्ष्मी बॉन्ड योजना भी लागू की है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 के लिए 2,84,885 छात्राओं को बॉन्ड देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बेटियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए ‘नमो लक्ष्मी’ योजना की शुरुआत : राज्य की बेटियों को माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य में कक्षा 9 से 12 में पढ़ने वाली लड़कियों को चार वर्षों के दौरान 50,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए इस वर्ष ‘नमो लक्ष्मी योजना’ लागू की है। इस योजना के सुचारु संचालन के लिए ‘नमो लक्ष्मी’ पोर्टल भी बनाया गया है। ‘नमो लक्ष्मी’ योजना का लाभ कक्षा 9, 10 और कक्षा 11, 12 में विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय में अध्ययनरत बेटियों को मिलेगा।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) के जरिए कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन : राज्य में कन्या शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार की कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) योजना भी लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों की स्कूल से बाहर की (कभी स्कूल न गई हों या बीच में ही स्कूल छोड़ दिया हो यानी अनामांकित या ड्रॉपआउट हो) लड़कियों तथा दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली लड़कियों को कक्षा 6 से 12 तक आवासीय शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। केजीबीवी में लड़कियों के लिए कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था के साथ ही, उनके निःशुल्क रहने, भोजन, जीवन कौशल विकास प्रशिक्षण, आत्मरक्षा और खेलों के प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान कर लड़कियों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2023-24 तक कुल 249 केजीबीवी संचालित थे। अब, वर्ष 2024-25 में राज्य में कुल 257 केजीबीवी कार्यरत किए जाएंगे, जिसमें लगभग 30 हजार लड़कियों को शैक्षणिक और सह शैक्षणिक गतिविधियों सहित सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।

लड़कियों को स्कूल जाने के लिए परिवहन सुविधा : राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाली अनेक लड़कियों को स्कूल आने-जाने में किसी मुश्किल का सामना न करना पड़े, इसके लिए निःशुल्क राज्य परिवहन (एसटी) बस की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके साथ ही समाज के वंचित वर्ग की अधिकतर बेटियों को योग्य सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई न छोड़नी पड़े, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति तथा विकासशील जाति की लड़कियों को सरस्वती साधना योजना के अंतर्गत, जबकि आदिवासी समुदाय की छात्राओं को विद्या साधना योजना के तहत मुफ्त साइकिल प्रदान की जाती है।

सरस्वती साधना योजना के अंतर्गत कुल 18,68,067 लड़कियों को साइकिल का लाभ दिया गया है। विद्या साधना योजना के अंतर्गत पिछले 10 वर्षों में 3.78 लाख लड़कियों को साइकिल दी गई है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति की लड़कियों को वार्षिक आय सीमा को ध्यान में लिए बिना पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का लाभ भी दिया जाता है।

बेटियों को मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सहायता के लिए मुख्यमंत्री कन्या केलवणी निधि योजना : राज्य सरकार बेटियों को प्राथमिक शिक्षा के अलावा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के लिए भी आर्थिक सहायता प्रदान करती है। गुजरात सरकार ने मेडिकल क्षेत्र (एमबीबीएस) में करियर बनाने की इच्छुक राज्य की बेटियों के लिए ‘मुख्यमंत्री कन्या केलवणी निधि योजना’ (एमकेकेएन) शुरू की है। इसका उद्देश्य एमबीबीएस में पढ़ाई करने वाली तेजस्वी छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2017-18 में योजना के शुरू होने से लेकर अब तक राज्य ने 19,776 तेजस्वी छात्राओं को 573.50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली 4982 छात्राओं को 171.55 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है।

महिला साक्षरता को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए अनेक कदमों के परिणामस्वरूप राज्य की महिला साक्षरता दर में भी वृद्धि हो रही है। एक शिक्षित नारी से ही संस्कारी एवं सुसंस्कृत समाज का निर्माण संभव है। गुजरात सरकार ने राज्य की महिलाओं के शैक्षणिक सशक्तिकरण के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण के द्वार खोले हैं।