सूरत : पांडेसरा जीआईडीसी में मियावाकी पद्धति से 1200 पेड़ लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया
पांडेसरा जीआईडीसी में जीपीसीबी और पांडेसरा GIDC एसोसिएशन ने की पहल
सूरत में 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) के स्थानीय कार्यालय, सूरत और पांडेसरा GIDC एसोसिएशन ने मिलकर पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से 1200 पेड़ लगाए।
इस कार्यक्रम में जीपीसीबी की क्षेत्रीय अधिकारी डॉ जिज्ञासाबेन ओझा, रेंज वन अधिकारी श्री नितिन वरमोरा और श्री जे.जी. गामित, पांडेसरा GIDC एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कमलविजय तुलस्यान, उपाध्यक्ष श्री जितेंद्र वखारिया, मंत्री श्री महेशभाई कबूतरवाला सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण एवं सूखा लचीलापन" थी। इस थीम के अनुरूप, कार्यक्रम में पेड़ों के महत्व पर चर्चा की गई और उन्हें लगाने के लिए मियावाकी पद्धति का उपयोग किया गया। मियावाकी पद्धति जापानी वनस्पति विज्ञानी अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित एक वनीकरण तकनीक है, जिसमें घने और विविध प्रकार के पेड़ लगाकर एक छोटे से क्षेत्र में भी जंगल जैसा वातावरण बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान, जीपीसीबी की क्षेत्रीय अधिकारी डॉ जिज्ञाबेन ओझा ने पेड़ों के महत्व को समझाते हुए कहा कि वे न केवल हवा को शुद्ध करते हैं और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं, बल्कि धरती को भी उपजाऊ बनाते हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दें।
पांडेसरा GIDC एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कमलविजय तुलस्यान ने बताया कि एसोसिएशन द्वारा पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र को हरा-भरा और सुंदर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक पांडेसरा जीआईडीसी की 25000 वार बंजर भूमि पर पेड़ लगाए जा चुके हैं। उन्होंने जीपीसीबी के सहयोग से आज लगाए गए 3500 पेड़ों का भी स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में पांडेसरा पुलिस थाने के पी.आई. श्री एन.के. कामलिया, डीजीवीसीएल के उप अभियंता श्री ए.वी. गामित, उद्योगपति श्री जे.पी. अग्रवाल, श्री प्रमोद अग्रवाल, श्री श्यामभाई अग्रवाल, श्री विनित जैन, श्री गुलशन चोपड़ा, श्री मनीष अग्रवाल, श्री मनीष खुराना, श्री आशुतोष कनोडिया, श्री बंशीभाई पटेल, श्री नटुभाई पटेल आदि भी उपस्थित थे।
यह पहल पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र को हरा-भरा बनाने और पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। मियावाकी पद्धति से लगाए गए ये पेड़ न केवल इस क्षेत्र की सुंदरता बढ़ाएंगे, बल्कि यहां के लोगों के लिए स्वच्छ हवा और जल भी प्रदान करेंगे।