चारधाम यात्रा : केदारनाथ धाम में अब तक तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये बाबा केदार के दर्शन
रुद्रप्रयाग, 21 मई (हि.स.)। उत्तराखंड की धामी सरकार चारधाम यात्रियों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं के लिए न केवल संकल्पित है अपितु इसको सुगम बनाने के लिए हर दिन आला अधिकारियों को दिशा-निर्देशित कर समीक्षा भी कर रही है। इसी का परिणाम है कि 11 दिनों में केदारनाथ धाम में अब तक 3 लाख 19 हजार से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं। यह एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया है। जिला प्रशासन की ओर से केदारनाथ धाम दर्शन करने पहुंच रहे तीर्थ यात्रियों का अतिथि देवो भवः की परम्परा से स्वागत किया जा रहा है।
इस वर्ष पिछली बार से बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ धाम में बाबा केदारनाथ के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। इन श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम, सुव्यवस्थित, सुरक्षित और मंगलमय यात्रा संपन्न हो, इसके लिए राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन सभी सुविधाएं एवं व्यवस्थाएं जुटाने में निरंतर प्रयासरत हैं। चारधाम आने वाले यात्रियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
बाबा केदारनाथ धाम के कपाट देश-विदेश के श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ 10 मई को खोल दिए गए थे और इन 11 दिनों में ही केदारनाथ धाम में आस्था का जो सैलाब उमड़ रहा है। उसने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी मिसाल है। अब तक 3,19,193 श्रद्धालु श्री केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं जो 11 दिनों में एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया है।
केदारनाथ यात्रा पड़ाव फाटा, सोनप्रयाग एवं गौरीकुंड आदि क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ होने के कारण जिला प्रशासन की ओर से यात्रियों को अगस्त्यमुनि एवं अन्य स्थानों पर सुरक्षा और सुव्यवस्थित यात्रा के दृष्टिगत रोका जा रहा है।
इन यात्रियों को रहने और खाने आदि की कोई असुविधा न हो, इसके लिए जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के निर्देशन में नगर पंचायत अगस्त्यमुनि की ओर से अतिथि देवो भवः की परम्परा एवं संस्कृति के अनुसार स्वागत किया जा रहा है। साथ ही राजस्थान और मध्य प्रदेश से आए 263 तीर्थ यात्रियों को रहने, खाने-पीने का उचित प्रबंधन किया गया। इसके लिए इन तीर्थ यात्रियों ने जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गई सुविधाओं व व्यवस्थाओं के लिए बहुत धन्यवाद प्रकट किया। इन तीर्थ यात्रियों ने कहा कि हम केदारनाथ दर्शन करने जा रहे थे और प्रशासन की ओर से उन्हें अगस्त्यमुनि में रोका गया। प्रशासन की ओर से उनके रहने, खाने-पीने का उचित प्रबंधन किया गया।