लोकसभा चुनाव: भरूच जिले के वागरा तहसील के आलिया बेट में 139 परिवारों के 254 मतदाता लोकतंत्र की नींव को करेंगे मजबूत

चुनाव तंत्र ने चौतरफा पानी से घिरे आलिया बेट के मतदाताओं के लिए शिपिंग कंटेनर में मतदान केंद्र बनाया

लोकसभा चुनाव: भरूच जिले के वागरा तहसील के आलिया बेट में 139 परिवारों के 254 मतदाता लोकतंत्र की नींव को करेंगे मजबूत

भरूच, 05 मई (हि.स.)। लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में एक-एक वोट और एक-एक मतदाता महत्व रखता है। हर एक वोट देश के भविष्य को आकार देने और लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भरूच जिले के वागरा तहसील में दूरसुदूर और चौतरफा पानी से घिरे आलिया बेट के 136 पुरुष और 118 महिला मतदाताओं समेत कुल 254 मतदाता आगामी लोकसभा चुनाव में सरलता से मतदान कर सकें, इसके लिए जिला निर्वाचन तंत्र द्वारा विशेष प्रबंध किया गया है। इसके लिए एक अस्थायी शिपिंग कंटेनर में मतदान केंद्र बनाया गया है।

पिछले विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर अरब सागर और नर्मदा मैया के संगम पर स्थित आलिया बेट के मतदाताओं को यह सुविधा उपलब्ध कराइ गई है, जिससे मतदाता अपने निवास स्थान के नजदीक ही मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। यही कारण है कि भारत के चुनाव आयोग के दृष्टिकोण 'हर वोट मायने रखता है' और लोकतंत्र में मताधिकार के महत्व को ऐसे उन्मुख उपायों द्वारा सार्थक किया जा रहा है।

देश में पहला चुनाव 1951-52 में हुआ और 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव तक 70 साल के दौरान हुए स्थानीय स्वराज्य, लोकसभा-विधानसभा चुनाव में बेट के मतदाता कलादरा गांव में नौका पर सवार हो कर वोट देने जाते थे, जो बेट से जमीन मार्ग से 82 किमी दूर और जल मार्ग से 15 किमी दूर है। अक्सर नदी का जल स्तर कम हो जाता था, तो सभी मतदाताओं को जिला निर्वाचन तंत्र द्वारा एसटी बसों में मतदान हेतु ले जाया जाता था।

वागरा तालुका में आलिया बेट गुजरात के भरूच जिले से होकर गुजरने वाली और अरब सागर में समा जाती नर्मदा नदी के डेल्टा क्षेत्र में 17.70 किमी लंबा और 4.82 किमी चौड़ा है। 22,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाला आलिया बेट जमीन से हंसोट से जुड़ा हुआ है, लेकिन चूंकि यह कलादरा जूथ ग्राम पंचायत से जुड़ा हुआ है, यह 151-वागरा विधानसभा क्षेत्र के 68-कलादरा-02 के अंतर्गत आता है। तालुका पंचायत चुनाव 2021 में पहली बार बेट के 230 में से 204 मतदाताओं ने मतदान किया था।

पिछले विधानसभा चुनाव-2022 में, जिला कलेक्टर तुषार सुमेरा के मार्गदर्शन में, भरूच जिला निर्वाचन तंत्र ने पहली बार आलिया बेट में एक विशेष रूप से निर्मित शिपिंग कंटेनर में मतदान केंद्र स्थापित किया था, ताकि बेट के लोग आसानी से बेट पर ही वोट कर सकें। इस कदम का भारत निर्वाचन आयोग ने संज्ञान लिया था और इस प्रयास की सराहना की थी। भरूच जिले के आलिया बेट की भौगोलिक स्थिति के कारण यहा राज्य या केंद्र सरकार की कोई सरकारी इमारतें उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए शिपिंग कंटेनर में मतदान के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है। जिसमें मतदाता 7 मई को बढ़-चढ़कर मतदान कर लोकतंत्र का कर्तव्य निभाने को उत्सुक हैं। चुनाव खत्म होने के बाद कंटेनर को प्राइमरी स्कूल में तब्दील कर दिया जाता है, जहां फिलहाल बेट के करीब 50 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। सौर पैनलों द्वारा उत्पन्न बिजली से कंटेनर की ट्यूबलाइट और पंखे चलते हैं।

जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर तुषार सुमेरा ने बताया कि आलिया बेट भरूच जिले का एक ऐसा द्वीप है, जहां 254 मतदाता हैं। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार बुनियादी चुनावी सुविधाएं स्थापित की गई हैं और हम अभी भी आवश्यकता के अनुसार विस्तारित सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बेट निवासी और जाट समुदाय के अग्रणी महमदभाई हसन जत का कहना है कि जिला निर्वाचन तंत्र ने शिपिंग कंटेनरों में बूथ स्थापित करके हमारे घर आंगन में ही मतदान के लिए एक अनूठी सुविधा की है, जो प्रशंसनीय है। जब यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी तो मतदान के लिए नाव से कलादरा गांव जाना पड़ता था। नाव में जाते समय सुबह 10 बजे के बाद ज्वार का पानी कम हो जाने के कारण नाव चलाना संभव नहीं होता था। अगर मतदान के बाद वापस आना चाहते तो शाम 5 बजे दोबारा ज्वार आने का इंतजार करना होता था, या 82 किमी का चक्कर लगाना होता था। 2017 के विधानसभा चुनाव में तंत्र ने आलिया बेट के मतदाताओं के लिए एक विशेष व्यवस्था के तहत एसटी बसों की व्यवस्था की थी और मतदाताओं को आलियाबेट से भरूच और वागरा के हंसोट तक ले जाया गया था।

मतदाता हनीफाबेन अलीभाई जत कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में हम सभी ने एक साथ मतदान किया था। हम महिलाएं कम पढ़ी लिखी हैं। बेट में अधिकांश महिलाएं अशिक्षित हैं, फिर भी हम नियमित रूप से मतदान करके अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हैं। प्रदेश एवं देश के सभी मतदाताओं एवं विशेषकर शिक्षित मतदाताओं को मतदान अवश्य करना चाहिए।

350 वर्ष पूर्व कच्छ से फकीरानी जाति के लोग पशुधन के साथ आलिया बेट में बसे थे

लगभग 500 फकीरानी मुस्लिम जत जाति के लोग बेट में रहते हैं और अभी भी कच्छ की अनूठी संस्कृति, पोशाक और खान-पान से जुड़े रहे हैं। 350 साल पहले आजीविका की तलाश में कच्छ से आए थे, और पशुधन के साथ वागरा तहसील स्थित आलिया बेट में बस गए थे। बेट के 139 परिवारों के 500 पुरुष, महिलाएं और बच्चे पशुपालन से जुड़े हैं। उनके पास 1200 से अधिक भैंसें और 600 ऊंट हैं। भरूच के गांवों में दूध बेचना उनकी मुख्य आजीविका है। हांसोट तहसील में दूध बेचने सहित शहेरा डेयरी में दूध जमा किया जाता है। पहले दूध को कांवड़ में भरकर ले जाया जाता था, फिर साइकिल, बाइक और टेम्पो ट्रैवलर के माध्यम से दूध बेचने जाते हैं।

मानसून में 3 से 4 माह भरुच के भाड़भूत से जुड़ा जलमार्ग ही एकमात्र रास्ता

स्थानीय लोग साल के नौ महिने सड़क मार्ग से हंसोट से जुड़ते हैं, जो परिवहन के लिए कठिन है, जबकि मानसून(वर्षा ऋतु) के दौरान 3 से 4 माह के लिए भरूच के भाड़भूत से जुड़ा जलमार्ग ही एकमात्र विकल्प रहता है। एक तरफ नर्मदा नदी और दूसरी तरफ अरब सागर और खंभात की खाड़ी स्थित है। यहां की जमीन बंजर है। कच्चे रास्ते से बेट तक पहुंचा जा सकता है। बेट में वर्षों से रहने वाले मुस्लिम जत समुदाय ने आज भी अपनी अनूठी संस्कृति को जीवंत रखा है।

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