लोकसभा चुनाव: बनासकांठा में दो महिला उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर

1991 में पहली बार भाजपा को मिली थी जीत, इससे पहले कांग्रेस का था गढ़

लोकसभा चुनाव: बनासकांठा में दो महिला उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर

पालनपुर, 8 अप्रैल (हि.स.)। बनासकांठा लोकसभा सीट पर इस बार दो महिला उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर है। भाजपा ने यहां से बनास डेयरी के संस्थापक गल्बाकाका की पौत्री रेखा बेन चौधरी को मैदान में उतरा है। वहीं, कांग्रेस ने वाव विधानसभा सीट की विधायक गेनीबेन ठाकोर को उम्मीदवार बनाया है।

बनासकांठा लोकसभा सीट उत्तर गुजरात की सीट है जिसकी उत्तरी सीमा राजस्थान से लगती है। इस सीट पर अभी भाजपा के परबत भाई पटेल सांसद हैं। भाजपा ने इस बार परबत भाई पटेल का टिकट काट कर रेखा बेन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हरि भाई चौधरी ने कांग्रेस के जोइता भाई को 2,02,334 मतों से हराया था। वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में थराद निवासी परबत भाई पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार पार्थी भाई भटोल को 3,68,296 मतों से हराया था।

बनासकांठा लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो पिछले तीन लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा जीत रही है। इससे पहले 1952 से बात करें तो भाजपा ने यहां से 6 बार और कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है। जबकि स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार इस सीट पर जीत हासिल की है। इस लोकसभा सीट में जातीय समीकरण क्षत्रिय ठाकोर समाज के पक्ष में है, यहां इस समाज के मतदाताओं की संख्या 4.50 लाख है। दूसरे स्थान पर चौधरी समाज 2.50 लाख है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 19.53 लाख है।

दलित और आदिवासी समाज का वोट यहां निर्णायक होता है, इन दोनों समाज का कुल वोट 1.75 लाख है। इस लोकसभा सीट में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इनमें चार में भाजपा का कब्जा है और 2 पर कांग्रेस विधायक चुने गए थे। 1 सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी। यहां थराद, पालनपुर, डीसा, देवदर सीट पर भाजपा का कब्जा है, 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा ने बढ़त बनाई थी, बाकी दो सीटों पर कांग्रेस हावी रही थी।

कांग्रेस की गेनी बेन ठाकोर की छवि मजबूत

गेनीबेन ठाकोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात के तत्कालीन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता शंकर चौधरी और 2022 में भाजपा के स्वरूपजी ठाकोर को हराया था। महिला अधिकारों की लड़ाई के लिए जानी जाने वाली ठाकोर इस क्षेत्र की चर्चित विधायक हैं।

भाजपा उम्मीदवार रेखा चौधरी विदुषी नारी

भाजपा उम्मीदवार रेखा चौधरी के दादा गल्बाभाई चौधरी ने बनास डेयरी की स्थापना की थी, जो हर दिन 4.5 लाख किसानों से दूध खरीदती है। उनके पति हितेश चौधरी भाजपा पदाधिकारी हैं। प्रचार के दौरान अपने भाषणों में रेखा चौधरी कहती रही हैं कि उनकी उम्मीदवारी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन प्राप्त है। वह अयोध्या में राममंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले पर प्रकाश डालती हैं।

कांटे की टक्कर

जातिगत गणित में गेनी बेन ठाकोर की संख्या अधिक है। वह जिस अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय जिससे आती हैं, उसके इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग साढ़े चार लाख मतदाता हैं। रेखा चौधरी भी ओबीसी वर्ग से हैं लेकिन उनके समुदाय की गिनती बनासकांठा में ठाकोर से लगभग आधी है। स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षकों का दावा है कि भाजपा ने 2004 से चौधरी समुदाय से उम्मीदवार उतारे हैं, जो कथित तौर पर प्रभावशाली ठाकुरों को पसंद नहीं आया है। साल 2019 में भाजपा ने चौधरी समुदाय से परबत पटेल को मैदान में उतारा, जिन्होंने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 3.68 लाख मतों के अंतर से हराया था।

बनासकांठा के चुनावी मुद्दे

बनासकांठा जिला पशुपालन और कृषि के लिए जाना जाता है। यहां तालाबों के पानी सिंचाई का मुख्य स्रोत है। गर्मियों में तालाब में पानी नहीं रहना यहां की मुख्य समस्या है। इसके लिए भाजपा सरकार ने कई गंभीर प्रयास कर तालाबों को हमेशा लबालब रखने की रणनीति बनाई है। कुछ स्थानीय लोगों के अनुसार राजस्थान और पाकिस्तान की सीमा से लगा बनासकांठा जिला गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। पालनपुर में किसानों का कहना है कि राज्य सरकार ने चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए झीलों को नर्मदा नहर के पानी से भरने की योजना शुरू की है, लेकिन प्रयास का परिणाम दो साल बाद ही पता चलेगा। उन्होंने दावा किया कि नर्मदा नहर का पानी लाने के प्रयास को भाजपा सरकार ने बहुत प्रचारित किया था, लेकिन इसका समग्र प्रभाव महत्वपूर्ण नहीं रहा और जिले का केवल पांच-सात प्रतिशत हिस्सा ही इसके दायरे में आता है।

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