फसलों की बेहतर उपज के लिए मिट्टी की जांच जरूरी
सही समय पर उसका उपचार करने में आसानी मिलती है
पूर्वी चंपारण,07 अप्रैल(हि.स.)।फसल की बेहतर उपज लेने के लिए समय समय पर मिट्टी की जांच जरूरी है। उक्त जानकारी देते हुए रविवार को जिले के परसौनी कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ आशीष राय ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि मिट्टी की जांच से अधिक उपज बढाने वाली सूक्ष्म जीवाणुओ के साथ मिट्टी में जरूरी पोषक तत्वों की कमी का पता लग जाता है।इससे मृदा उर्वरता की गिरावट और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक, लोहा, मैंगनीज, बोरान आदि की कमी को आसानी से जानकारी मिल जाता है,साथ ही इस प्रक्रिया के द्धारा मिट्टी के अम्लीयता तथा लवणीयता का पता भी लगता है, जिससे सही समय पर उसका उपचार करने में आसानी मिलती है।
उन्होने बताया कि मिट्टी जांच का सबसे बड़ा लाभ यह है,कि किसान भाई अनावश्यक उर्वरक खेतो में डालने से भी बचते है।केवल वही उर्वरक संतुलित मात्रा में डालते है,जितनी खेतो को आवश्यकता होती है।
मिट्टी की जांच के लिए कैसे ले नमूना
मिट्टी जांच की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसका नमूना कैसे लिया गया है। सामान्यत: धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, गन्ना, तिलहन, दलहन आदि फसलों के लिए मृदा नमूना लेने का उचित समय फसल कटने के बाद या फसल बोने के लगभग एक माह पूर्व लेना चाहिए। एक इकाई से एक नमूना तैयार किया जाता है एक इकाई का क्षेत्रफल एक एकड़ से अधिक तथा कम भी हो सकता है।
नमूना मिट्टी एवं फसल की भिन्नता पर भी निर्भर करता है। खेत से 15-20 स्थानों से मिट्टी को एकत्र किया जाता है। नमूने की गहराई प्रत्येक स्थान पर 0 से 15 सेंटीमीटर या 20 सेंटीमीटर तक रखा जाता है। सामान्यता मिट्टी नमूना लेने के लिए किसानों के लिए सबसे सरल एवं उपलब्ध औजार खुरपी तथा फावड़ा है। विभिन्न जगहो के मिट्टी को किसी साफ कपड़े, कागज, पॉलिथीन पर एक ढेर बनाकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है, इसके बाद पूरे ढेर को धन के आकार का चित्रण कर आमने सामने वाले भाग को हटा दिया जाए और शेष भाग को फिर मिलाते है।फिर लगभग आधा किलोग्राम मिट्टी लेकर एक थाली में रखकर उस पर अपना नाम, पता, नमूना संख्या, फसल विवरण सहित लिखकर इसे जांच के लिए प्रयोगशाला में, या कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी की लैब में भेज देना चाहिए।
बागबानी या बहुवर्षीय वृक्ष लगाने के लिए गड्ढे की विभिन्न गहराई से अलग-अलग नमूना लेना चाहिए इन गहराई का अंतराल 0 से 15, 15 से 30, 30 से 45, 45 से 60, 60 से 90 तथा 90 से 120 सेंटीमीटर रखना चाहिए।एक एकड़ क्षेत्रफल में 3 या 4 गढ्ढे बनाते हैं तथा प्रत्येक गड्ढे की गहराई का अंतराल ऊपर बताएं गए गहराई के अनुसार रखते हुए सभी गड्ढों की विभिन्न गहराई की मिट्टी का एक संयुक्त नमूना अलग-अलग स्थानों पर रखकर अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। अर्थात इकट्ठे की गई विभिन्न गहराई की मिट्टी के नमूनों को आपस में ना मिलायें। इस प्रकार विभिन्न गहराई के संयुक्त नमूनों में से लगभग 300 से 400 ग्राम नमूना लेकर इसे जांच के लिए भेजे।जाता है।इसका ध्यान रखे कि मिट्टी गीली हो तो उसे छाया में सुखाकर ही भेजे।
मिट्टी नमूना लेते समय रखे सावधानी
नमूने का स्थान वृक्षों के नीचे या फसलों की जड़ों में गोबर की खाद के कट्टे एवं अलग से किसी गड्ढे के पास से नहीं लेना चाहिए। ढलान, मिट्टी के प्रकार, फसल उत्पादन, फसल चक्र, उर्वरक एवं खाद का प्रबंधन आदि गुणों के आधार पर अलग अलग दिखने वाले खेत या उनके भागों से अलग-अलग नमूने तैयार करने चाहिए। ऊसर आदि भागों से अलग-अलग नमूना तैयार करना चाहिए। किसी भी दशा में नमूनों का संपर्क राख, दवाई, गोबर की खाद तथा उर्वरक आदि से नहीं होना चाहिए। नमूनों के लिए केवल नई साफ प्लास्टिक की बाल्टी या ट्रे और साफ स्थान का ही प्रयोग करना चाहिए।