ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 70% सफल, फ्रीज़र जितने तापमान पर रहेगी सुरक्षित!
भारत जैसे देशों को होगा बहुत फायदा कोरोना के आने के बाद से दुनिया के कई देश, डॉक्टर और वैज्ञानिक इसके इलाज पर लगातार काम कर रहे है। अब तक दुनियाभर में कुल 11 जितने टीके विकसित किए जा चुके हैं, जो अंतिम चरण में हैं। इनमें से, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रजेन्का द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए टीके को 70 फीसदी तक सफलता मिली है। इससे पहले, अमेरिकी कंपनी Pfizer के टीके की सफलता की दर 95 प्रतिशत थी और दूसरी अमेरिकी कंपनी Moderna की सफलता दर 94.5 प्रतिशत थी। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेन्का तीसरा टीका है, जिसमें आशाजनक परिणाम हैं। भारत सहित दुनिया भर में इस टीके का परीक्षण किया जा रहा है। पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट भारत में इसका परीक्षण कर रही है। अस्ट्राजेन्का के अनुसार टीके की दो खुराक एक महीने के अंतराल पर दी जाएगी। आपको बता दें कि इसकी पहली खुराक की सफलता 90 प्रतिशत और दूसरी खुराक की 62 प्रतिशत थी। कुल मिलाकर, ये टीका औसतन 70 प्रतिशत तक सफल रहा। यह टीका […]

- भारत जैसे देशों को होगा बहुत फायदा
कोरोना के आने के बाद से दुनिया के कई देश, डॉक्टर और वैज्ञानिक इसके इलाज पर लगातार काम कर रहे है। अब तक दुनियाभर में कुल 11 जितने टीके विकसित किए जा चुके हैं, जो अंतिम चरण में हैं। इनमें से, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रजेन्का द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए टीके को 70 फीसदी तक सफलता मिली है। इससे पहले, अमेरिकी कंपनी Pfizer के टीके की सफलता की दर 95 प्रतिशत थी और दूसरी अमेरिकी कंपनी Moderna की सफलता दर 94.5 प्रतिशत थी।
इसके अलावा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेन्का तीसरा टीका है, जिसमें आशाजनक परिणाम हैं। भारत सहित दुनिया भर में इस टीके का परीक्षण किया जा रहा है। पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट भारत में इसका परीक्षण कर रही है। अस्ट्राजेन्का के अनुसार टीके की दो खुराक एक महीने के अंतराल पर दी जाएगी। आपको बता दें कि इसकी पहली खुराक की सफलता 90 प्रतिशत और दूसरी खुराक की 62 प्रतिशत थी। कुल मिलाकर, ये टीका औसतन 70 प्रतिशत तक सफल रहा।
यह टीका भारत सहित दुनिया के कई विकासशील देशों के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। इन टीको को फ्रीजर में रखना जरूरी नहीं है बल्कि इसे फ्रीजर के तापमान पर संग्रहीत किया जा सकता है। इस टीके को संरक्षित करने के लिए बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर फ्रीजर में होता है। इसके सफल होने वाले टीकों की लाखों खुराक का उत्पादन किया जाएगा। इन टीकों को सहेजना के लिए लाखों फ्रीज़र की आवश्यकता होगी। यदि भारत की बात करे तक भारत में इस वैक्सीन को सुरक्षित करने की व्यवस्था है।
हालांकि इसे सुरक्षित रखने के लिए एक अलग प्रणाली स्थापित करनी होगी। ये व्यवस्था सभी देशों के लिए आसान नहीं है। इसमें समय भी लगता है। साथ ही इसे हर देश में स्वीकृति मिलना आवश्यक है।
आपको बता दें कि भले ही एक देश में वैक्सीन तैयार हो जाए और उसे स्वीकृति मिल जाये, लेकिन ये आवश्यक नहीं है कि हर देश के लिए ये स्वीकृत नहीं मानी जायेगी। हर देश को हर बार स्वीकृति के लिए अलग प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसका कारण ये हैं कि हर देश के लिए सफलता के मानदंड अलग हैं।