आय में असामनता के कारण बढ़ सकते हैं देश में अपराध: अध्ययन
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में सरकार कोई भी हो इसबात के आरोप हमेशा ही लगाते रहे हैं कि देश में अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब और भी गरीब हो रहे है। इसी बीच एक रपट जारी हुई है। जिसके अनुसार सरकार द्वारा पर्याप्त नौकरियां सृजित करने में नाकाम रहने के कारण में देश में आय असामनता बढ़ सकती है। एक रपट में इस संबंध में चेतावनी दी गयी है। वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल ने अपने शोध में कहा कि बेरोजगारी और आय असमानता का मेल सामाजिक तनाव का कारण बन सकता है। वर्ष 1980 से आय असामनता चरणबद्ध तरीके से बढ़ रही है। इस ओर ध्यान दिलाते हुये एमबिट ने कहा कि देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत (निम्न आय स्तर वाले) की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी केवल 11 प्रतिशत है, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है। इनकी प्रति व्यक्ति आय1,850 डॉलर है, जबकि निचले तब के 66 करोड़ लोगों या देश की 50 प्रतिशत आबादी की प्रति व्यक्ति आय 400 डॉलर से कम है, जो कि हैरान करने वाला है। […]
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में सरकार कोई भी हो इसबात के आरोप हमेशा ही लगाते रहे हैं कि देश में अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब और भी गरीब हो रहे है। इसी बीच एक रपट जारी हुई है। जिसके अनुसार सरकार द्वारा पर्याप्त नौकरियां सृजित करने में नाकाम रहने के कारण में देश में आय असामनता बढ़ सकती है। एक रपट में इस संबंध में चेतावनी दी गयी है। वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल ने अपने शोध में कहा कि बेरोजगारी और आय असमानता का मेल सामाजिक तनाव का कारण बन सकता है। वर्ष 1980 से आय असामनता चरणबद्ध तरीके से बढ़ रही है।
इस ओर ध्यान दिलाते हुये एमबिट ने कहा कि देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत (निम्न आय स्तर वाले) की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी केवल 11 प्रतिशत है, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है। इनकी प्रति व्यक्ति आय1,850 डॉलर है, जबकि निचले तब के 66 करोड़ लोगों या देश की 50 प्रतिशत आबादी की प्रति व्यक्ति आय 400 डॉलर से कम है, जो कि हैरान करने वाला है। यह आंकड़ा मेडागास्कर के नागरिकों के प्रति व्यक्ति आंकड़ों के समान है और यहां तक कि अफगानिस्तान के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय से भी कम है, जो कि 561 डॉलर है।
वहीं, दूसरी ओर इस रपट में अमीरों की अमीरी के बारे में भी बताया गया है। देश के शीर्ष एक प्रतिशत आबादी (1.30 करोड़) की प्रतिव्यक्ति आय 53,700 डॉलर है जो कि डेनमार्क की प्रति व्यक्ति आय से तुलना योग्य और सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय 52,961 डॉलर से ज्यादा है। रिपोर्ट में जोर देते हुये कहा गया कि सरकार के नौकरियां सृजित करने में असमर्थ रहने के कारण असमानता बढ़ सकती है। आगे कहा गया है कि मनरेगा योजना के तहत नौकरियों की बढ़ती मांग नौकरियों की संभावना बिगड़ने का संकेत है। रपट में चेतावनी दी गयी है कि बेरोजगारी और असमानता के मेल के कारण अपराधों में तेजी जैसे सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है। हमारा अपना अनुभव है कि बिहार और उत्तर जैसे राज्यों में जहां प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम है और असमानता अधिक है, वहां अन्य राज्यों की तुलना में अपराध की दर ज्यादा है।