देशद्रोह के मामलों में जनहित याचिका के जरिए नहीं होगी सुनवाई : सुप्रीमकोर्ट
नई दिल्ली। देशभर में दर्ज देशद्रोह के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर कोई भी कार्यवाही करने करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होता है तो वो खुद कोर्ट आ सकता है लेकिन इस पर जनहित याचिका के माध्यम से सुनवाई नहीं की जा सकती है। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि 124-ए को लेकर पहले ही संविधान पीठ ने 1962 में गाइड लाइन दी गयी थी इसलिए इस सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले में संविधान पीठ ने गाइडलाइन तय किए हैं और उसी का पालन किया जाना चाहिए। NGO कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट से कहा कि सैंकड़ों ऐसे मामले हैं जहां शांतिपूर्ण तरीके से लोगों ने धरना और प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया। इस तरह की केस सुप्रीमकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। अगर देशद्रोह का मामला दर्ज करना है हो तो डीजीपी या कमिश्नर से मंजूरी ली जानी चाहिए।
नई दिल्ली। देशभर में दर्ज देशद्रोह के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर कोई भी कार्यवाही करने करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होता है तो वो खुद कोर्ट आ सकता है लेकिन इस पर जनहित याचिका के माध्यम से सुनवाई नहीं की जा सकती है। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि 124-ए को लेकर पहले ही संविधान पीठ ने 1962 में गाइड लाइन दी गयी थी इसलिए इस सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले में संविधान पीठ ने गाइडलाइन तय किए हैं और उसी का पालन किया जाना चाहिए। NGO कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट से कहा कि सैंकड़ों ऐसे मामले हैं जहां शांतिपूर्ण तरीके से लोगों ने धरना और प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया। इस तरह की केस सुप्रीमकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। अगर देशद्रोह का मामला दर्ज करना है हो तो डीजीपी या कमिश्नर से मंजूरी ली जानी चाहिए।