आन्तरधर्मी विवाह के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, इस कार्रवाई पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आंतरधर्मी विवाह करने इच्छुक दंपति को राहत देने वाला फैसला सुनाया है। अब विवाह पंजीकरण कार्यालय में नोटिस सार्वजनिक में लगाए या नहीं यह वैकल्पिक बना रहेगा। दंपति तय कर सकेंगे की वे नोटिस सार्वजनिक में लगाना चाहते है या नहीं। विशेष विवाह अधिनियम में विवाह पंजीकरण संबंधित नोटिस अनिवार्य सार्वजनिक में लगाने का प्रावधान है। हाइकोर्ट ने उसे अब वैकल्पिक प्रक्रिया बनायी है। कोर्ट ने बताया कि ऐसी नोटिस सार्वजनिक करने की प्रक्रिया प्राइवसी और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन के बराबर है। राज्य या बाकी के हस्तक्षेप बिना अपने जीवनसाथी पसंद करने की दंपति के स्वतंत्रता को ये प्रक्रिया अवरोध है। विशेष् विवाह दफा 1954 के प्रावधान आन्तरधर्म विवाह करने वाले दंपति ने जिला पंजीकरण अधिकारी को विवाह संबंधित लिखित नोटिस देनी होती है ऐसा प्रावधान है। कानून कहता है कि ऐसी नोटिस पंजीकरण कार्यालय को सार्वजनिक में लगाना रहती है। विवाह की प्रक्रिया में विवाह, मानसिक तंदुरस्ती या समुदाय की पंरपरा के किसी भी नियम का उल्लंघन हुआ हो, 30 दिन के दौरान किसी भी विवाह के खिलाफ आपत्ति उठा सकता है। एक […]

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आंतरधर्मी विवाह करने इच्छुक दंपति को राहत देने वाला फैसला सुनाया है। अब विवाह पंजीकरण कार्यालय में नोटिस सार्वजनिक में लगाए या नहीं यह वैकल्पिक बना रहेगा। दंपति तय कर सकेंगे की वे नोटिस सार्वजनिक में लगाना चाहते है या नहीं। विशेष विवाह अधिनियम में विवाह पंजीकरण संबंधित नोटिस अनिवार्य सार्वजनिक में लगाने का प्रावधान है। हाइकोर्ट ने उसे अब वैकल्पिक प्रक्रिया बनायी है।
कोर्ट ने बताया कि ऐसी नोटिस सार्वजनिक करने की प्रक्रिया प्राइवसी और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन के बराबर है। राज्य या बाकी के हस्तक्षेप बिना अपने जीवनसाथी पसंद करने की दंपति के स्वतंत्रता को ये प्रक्रिया अवरोध है। विशेष् विवाह दफा 1954 के प्रावधान आन्तरधर्म विवाह करने वाले दंपति ने जिला पंजीकरण अधिकारी को विवाह संबंधित लिखित नोटिस देनी होती है ऐसा प्रावधान है। कानून कहता है कि ऐसी नोटिस पंजीकरण कार्यालय को सार्वजनिक में लगाना रहती है। विवाह की प्रक्रिया में विवाह, मानसिक तंदुरस्ती या समुदाय की पंरपरा के किसी भी नियम का उल्लंघन हुआ हो, 30 दिन के दौरान किसी भी विवाह के खिलाफ आपत्ति उठा सकता है। एक हिंदूर पुरुष के साथ शादी करने के लिए मुस्लिम युवी ने की याचिका संबंध में कोर्ट ने फैसला सुनाया।