रांची में डॉक्टरों की लापरवाही से जिंदा मरीज को भेज दिया पोस्टमार्टम हाउस

रांची (ईएमएस)। डॉक्टरों की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। रांची जिले के चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने एक जीवित युवक को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया। उसे बाकायदा पोस्टमार्टम कक्ष में पहुंचा दिया गया। लेकिन वहां चिकित्सक ने उसकी सांस चलते देखी तो तुरंत इलाज के अस्पताल के वार्ड में शिफ्ट किया गया।
रिम्स के पोस्टमार्टम हाउस में उस समय हल्ला मच गया जब पोस्टमार्टम करने डॉक्टर पहुंचे तो उन्होने पाया कि जिस युवक का पोस्टमार्टम किया जाना है उसकी सांसें चल रही हैं। इसके बाद डॉक्टर ने उसे तुरंत इलाज के लिए सेंट्रल इमरजेंसी में भेजा। लेकिन इमरजेंसी पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया। रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि पोस्टमार्टम के लिए लाए गए युवक की मौत इमरजेंसी में आने से कुछ देर पहले हुई।
जबकि उस युवक को चान्हो स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने सुबह नौ बजे ही मृत घोषित कर दिया था। परिजनों ने चान्हो के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है और उन पर कड़ी कार्रवाई करने की सरकार से मांग की है। उनका कहना है कि चान्हो के डॉक्टरों ने कागज बनाने में कई घंटे बरबाद कर दिए, जबकि युवक पांच घंटे तक जीवित था।
पुलिस ने बताया कि लोहरदगा में कैरो थाना क्षेत्र के खरता का जितेंद्र छोटा-मोटा टेंट हाउस चलाता था। मंगलवार सुबह छह बजे वह एक विवाह कार्यक्रम में टेंट लगाने गया। टेंट लगाते समय वह ऊपर से गुजर रहे बिजली के तार के संपर्क में आया और बेहोश होकर गिर पड़ा। आनन-फानन उसे चान्हो सामुदायिक स्वास्थ्य लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया। रिम्स में दिन के करीब एक बजे पोस्टमार्टम से पहले डॉक्टरों ने जब युवक की बॉडी एग्जामिन की तो पाया कि उसका दिल धड़क रहा है और सांस चल रही है. इसके बाद उन्होंने युवक को इमरजेंसी भेज दिया। डॉक्टरों ने बताया कि कई बार बिजली के झटके से दिल की धड़कन बंद हो जाती है लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर से चलने लगती है। अगर सीएचसी में ही उसे सीपीआर (पंप देकर धड़कन लाने की प्रक्रिया) दिया जाता तो धड़कन लौट सकती थी।