जब दो व्यस्क मरजी से साथ रह रहे हों तो मोरल पोलिसिंग की जरूरत नहीं रहती!

जब दो व्यस्क मरजी से साथ रह रहे हों तो मोरल पोलिसिंग की जरूरत नहीं रहती!

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला

देश में आए दिन लिव-इन को लेकर कई तरह के सवाल उठते ही रहते है। कई मामलों में लिव-इन में रहने वाले कपल अपनी मर्जी से शादी कर लेते है, जिसके लिए कई बार धर्म-परिवर्तन भी होता है। ऐसे ही एक मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, यदि कोई दो व्यक्ति अपनी मर्जी से साथ रहते है तो उन्हें किसी भी मॉरल पोलिसींग की जरूरत नहीं रहती है। हाईकोर्ट की जस्टिस नन्दिता ने केस की सुनवाई करते हुये यह महत्वपूर्ण बयान दिया था। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, जबलपुर में रहने वाले गुलझार नाम के एक शख्स ने हाइकोर्ट में आवेदन कर के बताया कि उसने महाराष्ट्र में 19 वर्षीय आरती साहू के साथ शादी की थी। शादी के बाद उसने अपनी मर्जी से धर्मपरिवर्तन भी कर लिया। हालांकि आरती के परिजनों को यह पसंद नहीं था और वह उसे लेकर वाराणसी चले गए। जहां उन्होंने उसे घर में कैद कर दिया है। 
इस मामले में कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुये राज्य सरकार और पुलिस को युवती को उसके पति को वापिस करने के आदेश दिये थे। एडवोकेट जनरल द्वारा आरती को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये कोर्ट के सामने पेश किया गया था। हाईकोर्ट ने बताया कि युवती अपनी इच्छा से अभी भी युवक के साथ रहना चाहती है। दोनों उम्र से बालिग है और दोनों पक्षों द्वारा भी उम्र को लेकर कोई संदेह नहीं है। ऐसे में वह आपस में पारस्परिक सहमति से रह रहे है तो किसी को भी उन्हें मॉरल पोलिसींग करने कि जरूरत नहीं है। संविधान में सभी को अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है, ऐसे में वह उसे अपनी पसंद के पात्र के साथ रहने से नहीं रोक सकते। इसी के साथ कोर्ट ने सरकारी वकील द्वारा शादी के खिलाफ किए गए विरोध और युवती को नारी निकेतन भेजने की अपील को रद्द कर दिया था।