वडोदरा : मांग बढ़ने पर कश्मीरी के साथ देशी गुलाब की खेती की ओर किसानों के रुझान बढ़ने के संकेत

वडोदरा  :  मांग बढ़ने पर  कश्मीरी के साथ देशी गुलाब की खेती की ओर किसानों के रुझान बढ़ने के संकेत

देशी गुलाब बहुत सुगंधित होने से पूजा सहित अन्य प्रसंगों में विशेष मांग होती है

वडोदरा के पास बिल गांव में फूलों की खेती करने वाले विशाल पटेल का कहना है कि लगता है कि प्रवाह बदल गया है और सुगंध स्थिरता के खिलाफ जीत रही है। विशालभाई राजवंश वर्षों से  फूलों की खेती से जुड़े हैं। उनका कहना है कि वडोदरा जिले में फूल उगाने वाले पहले कश्मीरी गुलाबों के प्रति इतने आकर्षित थे कि उन्होंने देसी गुलाब की जगह अपने खेतों में कश्मीरी गुलाब लगाए। कश्मीरी गुलाब देशी गुलाब की तुलना में अधिक टिकाऊ एवं माला (हार) बनाने के लिए अच्छा  और वजन में भी हल्का होता है। अब फूल बाजार में खुश्बू वाली पत्ती लगे फूलों की मांग बढ़ रही है। यानी देसी गुलाब की फिर से मांग होने लगी है, जिससे किसान खेतों में कश्मीरी के साथ देसी गुलाब को स्थान दे रहे हैं, ऐसा संकेत मिल रहा है। विशालभाई ने खुद 5 विंघा जमीन में कश्मीरी की जगह देशी गुलाब उगाए हैं।
पहले आधे खिलने वाले देशी गुलाबों को कम टिकाऊपन के कारण लगभग आधी रात के बाद सुबह जल्दी उठाकर बाजारों में भेजना पड़ता था। अब प्रवाह भी बदल गया है। अब स्थानीय बाजारों में भेजने के लिए सुबह-सुबह चूंगी (तोड़ी)  जाती है। देशी और कश्मीरी दोनों ही देशी प्रजातियों के गुलाब हैं। लेकिन कश्मीरी की तुलना में, देसी गुलाब को सुगंध का खजाना माना जाता है। इसलिए सुगंधित देसी गुलाब भक्ति पूजा, धार्मिक त्योहारों, दरगाहों में चढ़ाए जाने वाले फूलों की चादरें, मृत्यु के अवसर पर श्रद्धांजलि आदि में बहुत लोकप्रिय हैं। 
उनके अनुसार, वडोदरा के दारापुरा, सोखड़ा, पटोद और पादरा तालुका जैसे गांवों में फूल उत्पादकों ने अपनी वाडि़यों में देशी गुलाबों को आंशिक रूप से लगाया है। कर्जन तालुका में भी देसी गुलाब की खेती बढ़ने की उम्मीद है।

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