ये है दुनिया की सबसे महंगी दवाई, 18 करोड़ के एक डोज़ से मिलेगी इस दुर्लभ बीमारी से निजात

ये है दुनिया की सबसे महंगी दवाई, 18 करोड़ के एक डोज़ से मिलेगी इस दुर्लभ बीमारी से निजात

स्पाइनल कॉर्ड के लकवे से दिलाएगी निजात, मात्र एक डोज़ से दूर होगी बीमारी

किसी भी बीमारी का इलाज बिना दवा के होना असंभव है। हालांकि कई बार यह दवा इतनी महंगी होती है कि सामान्य व्यक्ति इसके बारे में सोच ही नहीं सकता। बीमारी जितनी ज्यादा दुर्लभ होती है उसका इलाज भी  उतना ही ज्यादा दुर्लभ होता है। ऐसी ही एक दुर्लभ बीमारी का इलाज बनकर आ रही है दुनिया कि सबसे महंगी दवा। जिसके मात्र एक डोज़ से व्यक्ति उस बीमारी से मुक्त हो जाएगा। हालांकि इस डोज़ की कीमत 1.79 मिलियन पाउंड यानि की 18.20 करोड़ रुपए है। 

अति दुर्लभ बीमारी से दिलाती है निजात

यह दवा जिस बीमारी के लिए बनी है उसका नाम है Spinal muscular Atrophy(SMA), तथा इस बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा बनी है उसका नाम है Zolgensma। इस दवा को इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने SMA के इलाज के लिए स्वीकृति दे दी है। इसके पहले अमेरिका भी इस दवा को स्वीकृति दे चुका है। बता दे की इंग्लैंड में हर साल लगभग 80 बालक SMA की बीमारी के साथ जन्म लेते है। 

क्या हैं यह SMA की बीमारी?

SMA की एक ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चों के स्पाइनल कॉर्ड में लकवा मार गया होता है। शरीर में यह स्थिति एक जिन की कमी से होती है। इस बीमारी के बाद बालक अधिक से अधिक तीन साल ही जिंदा रह सकता है। इस दौरान उसमे लकवा, मांसपेशियों का काम न करना, शरीर का अशक्त होना जैसे लक्षण देखने मिलते है। 
स्टडीज़ में यह बात सामने आई है की Zolgensma का एक इंजेक्शन बालक को वेंटिलेटर के बिना सांस लेने में सहायता करता है। Zolgensma की वजह से बालक उठ और बैठ सकता है और चल भी सकता है। इस दवा में SMN1 नाम के एक जनीन की प्रतिकृति होती है। जो शरीर के चेतातंत्र में जाकर लापता जनीन की जगह ले लेता है। इसके बाद शरीर में रहकर यह विशेष प्रोटीन को ग्रहण करता है, जिससे की बालक धीरे धीरे अपनी मांसपेशियों पर नियंत्रण कर सकते है। 

देश विदेश में रहने वाले बालको का किया जा सकेगा इलाज

इंग्लैंड के हेल्थ सेक्रेटरी का मेट हेंकोंक का कहना है की यह दवा गेम चेंजर साबित हो सकती है। SMA की दुर्लभ बीमारी से निजात पाने में यह दवा काफी सहायक हो सकती है। इस दवा को NMH में शामिल कर इंग्लैंड सहित पूरे यूरोप के सभी बालकों का इलाज किया जा सकेगा। दुनिया के कोई भी कोने में रहने वाला बालक इंग्लैंड आकर इस बीमारी का इलाज करवा सकता है। 
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