गुजरात कक्षा 10 मास प्रमोशन के निर्णय के पीछे ये कारण हो सकते हैं...

गुजरात कक्षा 10 मास प्रमोशन के निर्णय के पीछे ये कारण हो सकते हैं...

एक दिन पहले तक शिक्षा बोर्ड परीक्षा कराने के विकल्पों पर विचार कर रहा था, दिल्ली आलाकमान से निर्देश मिला हो सकता है

गुजरात सरकार ने गुरुवार को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा को रद्द करते हुए सभी रेग्युलर विद्यार्थियों को मास प्रमोशन देने का निर्णय लिया है। रीपीटर विद्यार्थियों के लिये परीक्षा का कार्यक्रम कोरोना के केसों में कमी आने के बाद घोषित किया जायेगा। 
लेकिन सरकार ने गुरुवार को जिस प्रकार आनन-फानन में परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है, इससे शिक्षा जगत में अटकलें लगनी शुरु हो गई है। प्रदेश के बोर्ड के प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों, शिक्षा विभाग के अग्रणियों में ये अटकलें हैं कि सरकार को यह निर्णय अचानक क्यों लेना पड़ गया? जानकारों का मानना है कि इसके एक दिन पहले तक बोर्ड की परीक्षाओं के आयोजन की तैयारियों की सूचना थी लेकिन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कोर कमिटी की हुई बैठक में यकायक मास प्रमोशन का निर्णय ले लिया गया। 
चर्चा ये भी है कि संभवतया दिल्ली से आलाकमान के निर्देश के बाद ही यकायक कक्षा 10 के बच्चों को मास प्रमोशन का निर्णय ले लिया गया। लोकल अखबार गुजरात समाचार रिपोर्ट के अनुसार गुजरात शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों की एक दिन पहले ही शिक्षा मंत्री के साथ बैठक हुई थी और उसमें चर्चा के बाद स्वयं मंत्रीजी परीक्षा रद्द करने के पक्ष में नहीं थे। हाईकोर्ट में परीक्षा रद्द करने संबंधी दायर याचिका का उत्तर देने के लिये सरकार की ओर से जो पक्ष तैयार किया जा रहा था उसमें भी यही कहा जाना था कि परीक्षा क्यों रद्द न की जाए और परीक्षा लिये जाने पर जोर दिया जाना था। बोर्ड ने भी परीक्षा लेने के विकल्पों पर विचार करना शुरु कर दिया था। 
(Photo : IANS)
लेकिन संभव है कि दिल्ली से आलाकमान के फरमान पर ये निर्णय लिया गया हो। क्योंकि 18 से अधिक आयु वर्ग को अभी वैक्सीन देना शुरु ही हुआ है और ये कार्य लंबा चलने वाला है। बच्चों को वैक्सीन देने में अभी समय लगा सकता है। कोरोना की दूसरी लहर काफी घातक सिद्ध हुई है और तीसरी लहर की आशंका भी व्यक्त की जा रही है। इसी लिये एतिहातन केंद्र से इस प्रकार की कोई सूचना मिली हो जिसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया हो, ऐसी अटकलें हैं।
उधर प्रदेश के स्वनिर्भर शाला संचालक मंडल का मत यह था कि मास प्रमोशन कोई समस्या का हल नहीं है। उलटा इससे आने वाले दिनों में विद्यार्थियों और ऊपरी कक्षा के शाला प्रबंधकों को तकलिफ ही होगी। मंडल ने मास प्रमोशन की बजाय परीक्षा लेने और उसके लिये विकल्प भी सुझाये। हालांकि अब तो निर्णय ले लिया गया है, इसलिये आगे की ही सोचनी है।
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