ग्रे उत्पादन में रनिंग क्वालिटी का हिस्सा 15 से 17 फीसदी, रनिंग में भी 15 से अधिक क्वॉलिटी

ग्रे उत्पादन में रनिंग क्वालिटी का हिस्सा 15 से 17 फीसदी, रनिंग में भी 15 से अधिक क्वॉलिटी

ग्रे की रनिंग क्वालिटी आज भी 8-10 साल पहले के दामों पर बिक रही है!

रोजाना तीन करोड मीटर से ज्यादा ग्रे के उत्पादन में रनिंग क्वॉलिटी का हिस्सा  लगभग 15-17 प्रतिशत है। लेकिन ये ऐसी ग्रे  क्वॉलिटी हैं जिनकी कीमत बमुश्किल डेढ़ से दो रूपये का अंतर होता  है। हालांकि यार्न, मजदूरी, गैस सहित  लागत बहुत अधिक हो गई है, इसके बावजूद ये रनिंग क्वॉलिटी  8-10 साल पहले के दामों पर मिलती है।
ग्रे में कई क्वॉजिटी होते हैं, लेकिन चलने वाले क्वॉजिटी की संख्या 15 से अधिक है। 20- 25  साल पुराने ये क्वॉलिटी आज भी बाजार में बिकती हैं। लेकिन खरीदार और विक्रेता दोनों ही बहुत सीमित संख्या में हैं। आमतौर पर 10 से लेकर 30 तक की इस क्वॉलिटी का एक अलग ही बाजार है। वीविंग एक अलग वर्ग रहा है जिसने वर्षों से इस रनिंग ग्रे क्वालिटी को बनाया है। यह एक ऐसा वर्ग है जो अब तक अपग्रेडेशन से दूर रहा है। प्रति माह लाख सवा  लाख मीटर ग्रे का उत्पादन करके  1 या 1.50 रूपये की कमाई से संतुष्ट है और इस वजह से यह वीवर्स सालों पुरानी मशीनों को रखते है। अपग्रेड करने वाले भी हैं, लेकिन संख्या बहुत ही नगण्य है।
टेक्सटाइल मार्केट में रनिंग क्वालिटी बिकती है और इसका बाजार सालों से बरकरार है। रनिंग क्वॉजिटी की कीमतें कभी आसमान नहीं छूती हैं। ग्रे उसी भाव से बिक रहा है जिस भाव पर आठ-दस साल पहले बिकता था, आज भी एक-दो रुपये के अंतर से बिक रहा है। इन रनिंग ग्रे में से कुछ नाम आज भुला दिए गए हैं। जैसे-जैसे नए क्वॉलिटी सामने आते हैं, वैसे-वैसे काम भी घट रहा है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इन सालों पुराने क्वॉलिटी की कीमत में आज कोई खास अंतर नहीं है। इसके विपरीत यार्न, मजदूरी, बिजली सहित कीमतों में तेज वृद्धि के बावजूद इन ग्रे क्वॉलिटी की कीमतें वर्षों से स्टेबल बनी हुई हैं। 
पिछले 10-15 वर्षों से चल रहे ग्रे रनिंग क्वॉलिटी
पूनम, दानी, 84-84, रशियन, किमायो, रेनियल, 60 ग्राम, वेटलेस, डी-चाइना, अल्ट्रा साटिन, सिल्कक्रैप, चिनोन, विचित्रा, 70-72, जॉर्जेट।
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