कोरोना काल में काम बंद होने पर 35 सालों के बाद घर लौटा शख्स, परिवारवालों ने मृत मानकर कर दिया था अंतिम संस्कार

कोरोना काल में काम बंद होने पर 35 सालों के बाद घर लौटा शख्स, परिवारवालों ने मृत मानकर कर दिया था अंतिम संस्कार

20 साल की उम्र में घर छोडकर काम करने के लिए निकल पड़े थे जागेश्वर, बंधुआ मजदूर बन कर करनी पड़ी नौकरी

देश भर में कोरोना वायरस के कारण सभी को काफी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ा था। कई परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालांकि चतरा के एक मजदूर परिवार के लिए लोकडाउन खुशियाँ लेकर आया। लोकडाउन के दौरान सालों से गायब हुआ उनके घर का सदस्य लौट कर घर आ गया। परिवार के सदस्य के घर वापिस आ जाने से सभी लोग काफी खुश है। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, चतरा जिले के कन्हाचट्टी के तुलबुल गाँव का रहने वाला जागेश्वर पासवान कोरोना काल में 35 सालों के बाद अपने घर लौटा। जागेश्वर के घर वापिस आने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। 20 साल की उम्र में जागेश्वर नौकरी की तलाश में अपने घर से निकल गया था। जिसके बाद 5 साल तक वह वापिस लौट कर नहीं आया। 5 सालों तक भी लौट कर नहीं आने पर परिवार वालों ने उसे मृत मान लिया और एक पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। 
हालांकि कोरोना काल के दौरान वह 35 सालों के बाद अपने घर वापिस आया। पहले तो उसके घर वालों ने उसे नहीं पहचाना। पर जब जागेश्वर ने अपनी बचपन की बातों को उनके साथ साझा किए। इसके बाद गाँव वालों को उसकी बात का विश्वास हुआ। अपनी कहानी बताते हुये जागेश्वर ने कहा कि जब वह घर के बाहर निकला था, तो उसे बाहरी दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था। इसलिए वह दिल्ली में जाकर भटक गया था। कुछ ही दिनों में उसे ईंट की एक भट्टी में काम मिल गया। जहां मालिक ने उसे बंधुआ मजदूर बना दिया। 
इसी दौरान उसने वहाँ की एक लड़की से शादी कर ली, हालांकि 5 सालों के बाद भट्टी बंद हो गई और दोनों पति-पत्नी दिल्ली में स्थित पंजाब ढाबा में काम करने के लिए आ गए। यहाँ भी मालिक ने दोनों को बंधुआ मजदूर बना कर उनका शोषण किया। वह उसे कहीं भी ज्यादा समय के लिए नहीं जाने देता था। हालांकि महामारी के दौरान जब सब कुछ बंद हो गया तो वह किसी तरह से वहाँ से निकल आया और अपने गाँव वापिस आने की ठान ली। जागेश्वर अब अपनी पत्नी रानी देवी और पुत्र रवि तथा पुत्री राधा के साथ ही अपने गाँव में आशियाने के लिए भटक रहे है।