अहमदाबाद श्मशान के मैनेजर ने कहा, ‘ दिन में चार-पांच बार रोता हूं, हे ईश्वर बचा ले!’

अहमदाबाद श्मशान के मैनेजर ने कहा, ‘ दिन में चार-पांच बार रोता हूं, हे ईश्वर बचा ले!’

अंतिम संस्कार करने के कार्य से जुड़े अधिकारी ने व्यक्त की अपनी वेदना, कोरोना ने दिल से हिला दिया है

गुजरात में कोरोना के कारण कोहराम मचा हुआ है। लगातार बढ़ रहे केसों के साथ साथ कोरोना के कारण मर रहे लोगों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार करने के लिए भी श्मशान में कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। जिन श्मशानों में पहले दिन के 5 या 6 लाशों का अंतिम संस्कार होता था वहाँ आज एक दिन में 30 से 35 लाशों का अंतिम संस्कार हो रहा है। ऐसे में अहमदाबाद के बापूनगर इलाके में आए मुक्तिधाम में मेनेजर के तौर पर फर्ज अदा करने वाले निर्मल भँड़ेरी ने अपनी व्यथा कही थी। 
निर्मल का कहना है की अब तो श्मशान में उनके सिवा कोई रोने वाला भी नहीं है। कोरोना ने मानो सब कुछ छिन लिया है, अब तो श्मशान भी मृतदेहों का भार नहीं उठा पा रहा है। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था की ऐसे भी दिन आएगे। पूरे दिन में वह 30 से 35 मृतदेहों को अग्निदाह देते है। 24 घंटो में वह मात्र एक बार ही खाना खा पाते है और मात्र 3 घंटे ही सो पाते है। जब भी वह मृतदेहों के पास जाते है, उनका हृदय दु:ख से भर जाता है। यहीं सारी तकलीफ उन्हें सोने भी नहीं देती।
(Photo Credit : dainikbhaskar.com)

निर्मल भँड़ेरी अहमदाबाद में सरदार युवा ग्रुप संचालित बापुनगर मुक्तिधाम में पिछले 6 साल से मेनेजर है। वह ऐसा मानते थे की हर दिन आने वाली लाशों को देखने के बाद शायद उनके अंदर की मानवता मर चुकी है। पर कोरोना के बाद वह कहते है की कोरोना ने उन्हें अंदर से हिला कर रख दिया है। पहले जब मृतक के परिजन आते थे तो वह उन्हें समजाते थे पर अब वह खुद ही कुछ नहीं समज पाते। कई बार तो एक साथ पाँच मृतदेह की अंतिम विधि एक साथ की जाती है। दिन में चार-पाँच बार वह रोते है, कई बार तो उनका स्टाफ आकर उन्हें शांत करवाता है। 
निर्मल कहते है की अभी नोकरी का या खाना खाने का यह घर जाने का कोई समय नहीं है। रात को तीन-चार या पाँच बजे जब भी वह घर पहुँचते है, थोड़ा सा खा लेते है। पूरे दिन में मात्र तीन ही घंटे की नींद ले पाते है। हालांकि उन्हें इस बात की चिंता नहीं है। पर कई बार उन्हें अस्पतालों में से फोन आते है की कोई चीता खाली है की नहीं यह सुनकर उनकी दिशा शून्य हो जाती है।