शादी के लिए होने वाले धर्मांतरण कानून की कुछ धाराओं पर लगाई गुजरात हाईकोर्ट ने रोक

शादी के लिए होने वाले धर्मांतरण कानून की कुछ धाराओं पर लगाई गुजरात हाईकोर्ट ने रोक

बजट सत्र के दौरान हुआ था धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधेयक पारित

गुजरात हाईकोर्ट द्वारा विवाह के लिए होने वाले धर्मांतरण के खिलाफ बने कानून की कुछ धारा पर रोक लगा दी है। मंगलवार को इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के सामने राज्य सरकार द्वारा अपने धर्मांतरण विरोधी कानून का बचाव भी किया गया। सरकार ने कहा कि यह कानून मात्र गैरकानूनी धर्मांतरण के खिलाफ है। यह कानून किसी को दूसरे धर्मों में विवाह करने से नहीं रोकता। 
बता दे की हाईकोर्ट में कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देती हुई एक याचिका दर्ज की गई थी। जिसकी सुनवाई करते हुये हाई कोर्ट ने विवाह के माध्यम से धर्मांतरण के खिलाफ बने कई धाराओं पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है राज्य सरकार के कानून के अनुसार धोखाधड़ी से या जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के पर बड़े दंड का प्रावधान है। 
गुजरात सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधेयक पारित किया गया था। जिसे राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 22 मई को अनुमति प्रदान की थी। इसके बाद 15 जून से इस कानून को प्रभावी कर दिया गया था। नए कानून के अनुसार राज्य में कई थानों में एफ़आईआर भी दर्ज हुई है। जिसमें सबसे पहली एफ़आईआर समीर कुरेशी नामक एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई थी। जिसने ईसाई बनकर 2019 में सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरे धर्म की महिला को अपने जाल में फंसा कर उसके साथ शादी कर ली थी और उसके बाद उसका धर्मांतरण करवाने की कोशिश की थी। 
बता दे की इस नियम के अनुसार, गलत तरीके से धर्मांतरण करवाने पर तीन से पाँच साल की कैद और दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं अगर पीड़ित नाबालिग, दलित या आदिवासी है तो फिर सजा चार से सात साल तक और जुर्माने की रकम कम से कम तीन लाख रुपए की रखी गई है।
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