'रावण' के भरोसे चलता है गुजरात के इस परिवार का पूरे साल का खर्चा

'रावण' के भरोसे चलता है गुजरात के इस परिवार का पूरे साल का खर्चा

15 से 70 फिट के रावण का करते है निर्माण, कोरोना के कारण इस साल मात्र 20 से 22 ऑर्डर ही मिले

गुजरात के अहमदाबाद के रामोल में रहने वाला एक परिवार पूरे इलाके में रावण परिवार के नाम से मशहूर है। पिछले 40 सालों से इस परिवार का खर्च दशहरे के रावण बनाने के काम से निकल जाता है। दशहरे के दौरान ही परिवार को इतना सारा काम मिलता है कि उन्हें फिर से पूरे साल का राशन भराने कि चिंता नहीं रहती। इस साल भी पूरे गुजरात में से उन्हें 20 से 22 रावण बनाने का ऑर्डर मिला है। 
अहमदाबाद रमोल के खानवाडी में रहने वाले और पिछले 40 सालों से दशहरे के लिए रावण बनाने वाले मोहसीनखान फारुकी बताते है कि उनके दादाने उत्तरप्रदेश से अहमदाबाद आकर रावण बनाने का काम शुरू किया था। आज इस काम में उनकी तीसरी जनरेशन काम कर रही है। सालों से रावण बनाने के कारण आसपास के लोग उनको रावण फेमिली के नाम से ही जानते है। हर साल वह करीब 90 रावण बनाते है जो पूरे राज्य में जाते है। हालांकि इस साल कोरोना के कारण मात्र 20 से 22 रावण बनाने के लिए ऑर्डर मिले है।
मोहसीन खान ने कहा कि 15 से 70 फिट के रावण का निर्माण का करते है। इनकी कीमत 20 हजार से लेकर 70 हजार तक की होती है। मोहसीन ने कहा की रावण के दहन के दिन लोगों की चेहरों की खुशी देखकर उन्हें भी काफी खुशी मिलती है। मोहसीन ने बताया कि 15 फिट का एक रावण बनाने के लिए पांच कारीगर को दो दिन का समय लगता है। जबकि 70 फिट का रावण का पुतला बनाने के लिए पांच कारीगरों को 4 दिन का समय लगा। इस बनाने में बांस, कपड़े, पटाखे, कागज और कलर पेपर का इस्तेमाल किया जाता है।
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