मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी पर गिरी केबल ब्रिज टूटने की गाज, किया गया निलंबित

मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी पर गिरी केबल ब्रिज टूटने की गाज, किया गया निलंबित

रविवार को हुए भीषण हादसे के बाद मामले की जाँच शुरू है, अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया है

मोरबी में रविवार को हुए भीषण पुल टूटने वाले हादसे पर कार्यवाही करते हुए मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला को निलंबित कर दिया गया है। इस त्रासदी में जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये और बहुत से परिवार तबाह हो गये, जाँच में राज्य के शहरी विकास विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर सरकार सख्त स्थिति में है। जिसमें सरकार ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। जिसमें मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला को गिरफ्तार किया जा सकता है। वहीं, जयसुख पटेल की गिरफ्तारी को लेकर कार्यवाही शुरू है। जयसुख पटेल के हरिद्वार में होने की आशंका को लेकर क्राइम ब्रांच की टीम हरिद्वार पहुंचकर अपनी जांच शुरू कर दी है। इससे पहले गुरुवार को पुलिस ने झाला से चार घंटे तक पूछताछ की थी। उनसे पुल के मरम्मत कार्य के लिए गुजरात स्थित घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा के साथ किए गए समझौते को लेकर सवाल पूछे गए थे।

इस हादसे 9 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया 


अरेस्ट किए गए लोगों में पुल के मरम्मत करने वाली ओरेवा कंपनी के मैनेजर दीपक भाई नवीनचंद्र भाई पारेख (44), एक और मैनेजर नवीन भाई मनसुख भाई दवे, टिकट क्लर्क मनसुख भाई वालजी भाई टोपिया(59), एक और टिकट क्लर्क मदनभाई लाखा भाई सोलंकी, ब्रिज रिपेयरिंग कॉन्ट्रेक्टर प्रकाशभाई लालजी भाई परमार और एक और कॉन्ट्रेक्टर देवांग भाई लालजी भाई परमार (31) और साथ ही सिक्योरिटी गार्ड अल्पेशभाई, दिलीपभाई और मुकेश भाई शामिल हैं।

7 मार्च को हुए ओरेवा कंपनी के साथ आवश्यक समझौते 


आपको बता दें कि मोरबी के लिए रविवार का दिन किसी काले दिन से कम नहीं है। इस दिन हैंगिंग पूल के ढहने से राज्य और देश सदमे में हैं। पूल गिरने से 500 से ज्यादा लोग डूब गए। जिसमें 135 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें संदीप सिंह झाला ने कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत में कहा था कि नगर पालिका का झूला पूल बेहद जर्जर हालत में है। उस वक्त लोगों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया था। इसके बाद इस पुल के मरम्मत का काम ओरेवा समूह को दिया गया। जिसे लेकर कलेक्टर की बैठक भी हुई, जिसमें कीमतें तय करने और इस समझौते को सौंपने का अनुरोध किया गया था। जिसके आधार पर ओरेवा कंपनी के साथ 7 मार्च को मरम्मत, रख-रखाव और उसके सभी आकस्मिक खर्चों और 15 साल के लिए वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के लिए आवश्यक समझौता किया गया था। उन्होंने नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी और विभिन्न मीडिया रिपोर्टों को प्रकाशित किया था।

सवाल के दायरे में है समझौता


इस मामले में कोर्ट में जमा किए दस्तावेजों से पता चलता है कि ब्रिज का मरम्मत कार्य जिस ठेकेदार को सौंपा गया था वह इसके योग्य नहीं थे। उप-ठेकेदार ने केवल केबलों को पेंट और पॉलिश किया। जंग लगी जंजीरों को बदला नहीं गया। जिसकी वजह से हादसा हो गया। ओरेवा कंपनी इस कार्य के लिए पूरी तरह अयोग्य थी। इससे पहले 2007 में भी कंपनी को मरम्मत का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।

जानिए संदीप सिंह झाला ने क्या कहा


इस बारे में संदीप सिंह झाला ने कहा कि मीडिया के माध्यम से पता चल रहा था कि नवीनीकरण में किस तरह की सामग्री का उपयोग किया जाता है। बीच-बीच में खबर आई कि उनके द्वारा अच्छी ग्रेड सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन यह कैसे टूट गया? इसकी क्षमता क्या थी? उन्होंने अपना फिटनेस सर्टिफिकेट लिया है या नहीं? यह फिलहाल हमारे संज्ञान में नहीं है।