जिस पुल ने कइयों का जीवन लील लिया उसे किसी जमाने में मोरबी के राजा ने बनवाया था, जानिये इतिहास

जिस पुल ने कइयों का जीवन लील लिया उसे किसी जमाने में मोरबी के राजा ने बनवाया था, जानिये इतिहास

कल शाम छः बजे टूट गया मोरबी का झूलता पुल, सैकड़ों लोगों की हुई मौत

मोरबी जिले के मच्छू नदी पर बना झूलता पुल कल गिर जाने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई। यह केबल ब्रिज 143 साल पुराना था जो 30 अक्टूबर 2022 रविवार को दुर्घटना का शिकार हो गया। जानकारी के अनुसार मोरबी ब्रिज का निर्माण आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। माचू नदी पर बना यह पुल मोरबी का प्रमुख पर्यटन स्थल था।

मोरबी केबल ब्रिज कब बनाया गया था?


केबल ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा वाघजी राव ने करवाया था। जिसका उद्घाटन 1879 में हुआ था। ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनाए गए इस पुल के निर्माण में नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान बना यह पुल अच्छी इंजीनियरिंग का प्रतीक रहा है। राजकोट जिले से 64 किमी दूर माच्छू नदी पर बना यह पुल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। 765 फीट लंबा और 4 फीट चौड़ा यह पुल अपने ऐतिहासिक स्वरूप के कारण गुजरात पर्यटन की सूची में भी शामिल था।

मोरबी ब्रिज इंजीनियरिंग का जीता जागता उदाहरण


ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा निर्मित इस पुल को उन्नत इंजीनियरिंग का जीता जागता उदाहरण माना जाता था। गुजरात राज्य का मोरबी जिला माचू नदी के तट पर स्थित है। मोरबी केबल ब्रिज उसी नदी पर बनाया गया था। इस पुल का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्सल्य वाघजी ठाकोर के शासनकाल में हुआ था। कहा जाता है कि राजा महल से शाही दरबार तक मोरबी पुल से होकर जाया करते थे।

मरम्मत के बाद पुल को फिर से खोल दिया गया


ऑरेवा समूह पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। समूह ने मार्च 2022 से मार्च 2037 तक 15 वर्षों के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 5 दिन पहले मरम्मत के बाद पुल को जनता के लिए खोल दिया गया था। बताया जा रहा है कि पुल पर भीड़भाड़ थी जिसके कारण यह हादसा हुआ।

ढह गया मोरबी ब्रिज?


मोरबी का ये ब्रिज रविवार, 30 अक्टूबर की शाम को ढह गया। जिस वक्त हादसा हुआ उस वक्त पुल पर करीब पांच सौ लोग मौजूद थे। इस घटना में अब तक 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश अभियान जारी है। एनडीआरएफ की दर्जनों टीमों ने रात भर नदी की तलाशी ली। हादसे की जांच के लिए 5 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है। 5 दिन की मरम्मत के बाद पुल कैसे हादसे का शिकार हो गया और कौन जिम्मेदार है यह सवाल है।