रेमडेसिवीर के पीछे मची है अंधी दौड़, लेकिन इस इंजेक्शन से जुड़े ये महत्वपूर्ण तथ्य भी जान लें

रेमडेसिवीर के पीछे मची है अंधी दौड़, लेकिन इस इंजेक्शन से जुड़े ये महत्वपूर्ण तथ्य भी जान लें

बिना सलाह के इंजेक्शन लेना पड़ सकता है भारी, मास्क और सामाजिक दूरी ही सबसे कारगर उपाय

राज्य में फिर से एक बार कोरोना की लहर ने ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया है। जिसके चलते फिर से अस्पतालों में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी होने लगी है। फिलहाल रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कोरोना के मरीजों के लिए कारगर साबित हो रही है। इसी के चलते कई लोगों द्वारा इंजेक्शन की कालाबाजारी भी हो रही है। ऐसे में लोगों के मन से इंजेक्शन के बारे में जो कुछ भ्रांतियाँ बनी है, उस पर थोड़ा प्रकाश डालते है। 
मशहूर पल्मोनोलोजिस्ट डॉ. तुषार ने ज़ी24 से बात करते हुये कहा की आज जो भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो रहा है, वह सोचता है की वह रेमडेसिवीर ले ले और ठीक हो जाए। पर यह अकसीर इलाज नहीं है। इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी का खुद का कहना है की वह इस इंजेक्शन से मात्र अस्पताल में मरीज को अधिक समय रहने से रोकने के लिए है। जिन मरीजों को लंग्स में तकलीफ हो, ओक्सिजन लेवल कम हो, लगातार बुखार आता हो, ब्लड प्रेशर, डायाबिटिस जैसी बीमारी हो उसे यह इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए। 
डॉ. तुषार कहते है अभी के अधिकतर केसों में कोरोना के मरीज बिना इंजेक्शन के ही ठीक होते है। पर बचे हुये 20 प्रतिशत किस्सों में भी काफी सोचकर इंजेक्शन लेना चाहिए। कई लोग इसे बचाकर रख रहे है और कई लोग इसकी संग्रहखोरी कर रहे है। पर इसके कई साइड इफेक्ट भी है, जैसे की शुगर लेवल बढ़ जाना, लीवर को नुकसान होना इत्यादि। 
उल्लेखनीय है की विगत दिनों उप मुख्यमंत्री द्वारा बयान दिया गया था कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन सभी को मिले इसके लिए इंतजाम किया जाएगा। जिससे कि अस्पतालों में भीड़ कम की जा सकेगी। हालांकि इन सबके बावजूद मास्क और सोशल डिस्टेनसिंग ही कोरोना से बचने का एकमात्र कारगर उपया है।