सूरतः गुजरात की 18 में से एक मात्र सुमुल डेरी ने ही दुध के भाव क्यों बढाएः कांग्रेस कमिटी

सूरतः गुजरात की 18 में से एक मात्र सुमुल डेरी ने ही दुध के भाव क्यों बढाएः कांग्रेस कमिटी

समग्र गुजरात में कुल १८ डेरीओं में एक मात्र सुमुल डेरी ने ही दुध के दाम बढाए है वह भी मात्र सूरत के ग्राहकों के लिए, कांग्रेस कमिटि ने शहर के विभिन्न संगठनो तथा राजनैतिक दलों को सुमुल डेरी की लुट का विरोध करने सामने आने की अपिल की है।

सूरत और तापी जिल के 1.25 करोड़ लोगों पर लगाए गए 117 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बोझ पर राजनैतिक दल चुप क्यों हैं? 
सूरत शहर और जिला कांग्रेस कमेटी के नेता और कांग्रेस परिवार द्वारा जानकारी दी गई है कि गुजरात स्टेट मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन से जुडी हुई 18 डेयरियां हैं और ये सभी डेरियां पूरे राज्य में अमूल के ब्रांड के तहत दूध बेचती हैं। इन सभी 18 डेयरियों में से सिर्फ सुमुल डेयरी ने दूध के दाम बढ़ाए हैं। बाकी की 17 डेयरियां आज भी दूध की थेली (पेकेट) 56 रुपए प्रति लीटर के भाव में बेच रही हैं। सभी 18 डेयरियों की दुग्ध उत्पादन लागत लगभग समान है।
सूरत जिला कांग्रेस के पुर्व अध्यक्ष एवं किसान अग्रणी दर्शन नायक ने जानकारी देते हुए हुए कहा कि सुमुल के अलावा अन्य 17 डेयरियों द्वारा दूध 56 रुपये में बेचा जाता है, लेकिन उनके चरवाहों को उचित मूल्य दिया जाता है तो सुमुल डेयरी भुगतान क्यों नहीं कर सकती? सुमुल के दूध के दाम में असमानता क्यों?  सुमुल डेयरी द्वारा 6 लीटर दूध के पेकेट की कीमत नहीं बढ़ाई गई है तो एकसमान गुणवत्ता वाले दूध की कीमत में ऐसा क्यों?
पिछले वर्षों में किलोफैट की कीमत में 48 रुपये प्रति किलो की वृद्धि की गई थी।पिछले साल किलोफैट की कीमत में 85 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई थी, लेकिन इस साल कीमत में मात्र 1 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई है और केवल 86 रुपये की वृद्धि पशुपालकों को दिया गया है।
इस साल कोई नई परियोजना शुरू नहीं की गई है, कोई नया संचालन नहीं किया गया है, लागत में कोई वृद्धि नहीं हुई है और मुनाफे में वृद्धि हुई है। ऐसे में पशुपालकों को इस साल 100 रुपए प्रति किलोफेट की कीमत में बढ़ोतरी मिलनी चाहिए थी। तो चरवाहों को किलोफेट में सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी क्यों की गई। एक ही गुणवत्ता का दूध पूरे राज्य में एक ही कीमत पर बेचा जाना चाहिए और पशुपालकों को भी डेयरी के लाभ से अधिकतम कीमत चुकानी चाहिए।
सूरत शहर-जिला और तापी जिले के सामाजिक संगठनों और अन्य राजनीतिक दलों के नेता सुमुल डेयरी द्वारा सूरत और तापी जिल के 1.25 करोड़ लोगों पर लगाए गए 117 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बोझ पर चुप क्यों हैं? ऐसा सवाल सूरत शहर और जिला कांग्रेस कमेटी के नेता और कांग्रेस परिवार द्वारा किया गया है और अन्य राजनितिक दलों को खुलकर सुमुल डेरी की भाववृध्दि के खिलाफ सामने आना चाहिए। सूरत शहर कांग्रेस इंचार्ज अध्यक्ष नैषध देसाई, सूरत शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष हरीश सुर्यवंशी, सूरत जिला कांग्रेस अध्यक्ष आनंद चौधरी, पुर्व केन्द्रीय केबिनेट मंत्री डॉ. तुषार चौधरी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं किसान अग्रणी दर्शन नायक ने जिला कलेक्टर सहित सूरत की विभिन्न संस्थाओं को ज्ञापन देकर सुमुल डेरी की मनमानी के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने की मांग की है। 
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