सूरतः समग्र देश में अमुल दुध का भाव कम तो दक्षिण गुजरात में क्यों ज्यादा, सुमुल ने लुट मचा रखी होने का कांग्रेस का आरोप

सूरतः समग्र देश में अमुल दुध का भाव कम तो दक्षिण गुजरात में क्यों ज्यादा, सुमुल ने लुट मचा रखी होने का कांग्रेस का आरोप

सूरत की सुमुल डेरी द्वारा देश में दुध का सबसे अधिक भाव ग्राहकों से वसूला जा रहा है जिसके सामने पशुपालकों को दुध के फेट का सही दाम नही देने का आरोप कांग्रेस ने लगाया।

सूरत और तापी जिले के पशुपालकों के साथ अन्याय, दूध के दाम बढ़ने के बावजूद नहीं मिल रहा लाभ 
दक्षिण गुजरात में एकमात्र सुमुल डेयरी जो पिछले 70 वर्षों से सूरत और तापी जिलों के चरवाहों के लिए काम कर रही है, और सूरत सहित आसपास की जनता को स्वस्थ दूध और दूध उत्पाद प्रदान कर रही है। यह सूरत और तापी जिलों में 2.50 लाख चरवाहों से जुड़ी एकमात्र डेयरी है और करीबन 75 लाख लोगों को दूध और दूध उत्पादों की आपूर्ति करती है। सुमुल डेयरी गुजरात स्टेट मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) का सदस्य है।इस डेयरी के दूध की कीमतों की घोषणा गुजरात स्टेट मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) द्वारा अमूल ब्रांड के तहत की जाती है। सूरत कांग्रेस का आरोप है कि दूध के दाम बढ़ने के बावजूद चरवाहों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है और सुमुल डेयरी के प्रबंधन द्वारा चरवाहों को देने योग्य लाभ पार्टी फंड में देकर उनके साथ अन्याय कर रहे है। 
सूरत शहर-जिला कांग्रेस कमेटी ने पत्रकार परिषद आयोजित की थी जिसमें सूरत शहर कांग्रेस अध्यक्ष नैषध देसाई, सूरत शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष हरीश सुर्यवंशी, पुर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. तुषार चौधरी, सूरत जिला कांग्रेस अध्यत्र आनंद चौधरी, सूरत जिला पंचायत के पुर्व सदस्य एवं किसान अग्रणी दर्शन नायक उपस्थित रहकर संबोधन किया। कांग्रेस कमिटी ने मीडीया को जानकारी देते हुए कहा कि सूरत और तापी जिलों के पशुपालक हैं जिन्हें प्रति किलो मूल्य वृद्धि से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सभी संघ दूध उत्पादों और अन्य उत्पादों के तहत स्मार्ट बिक्री के प्रशासन के माध्यम से लाभ कमाकर हर जगह पशुपालकों को देते है। यदि सुमूल दूध के अमूल ब्रांड के तहत उपरोक्त सभी ब्रांडों की बिक्री मूल्य पूरे गुजरात और भारत के वाराणसी, दिल्ली और महाराष्ट्र में समान है, तो सूरत और तापी के लोगों को अधिक कीमत क्यों चुकानी पड़ती है ? और यह मूल्य वृद्धि कहाँ जाती है ? सुमुल डेयरी पशुपालकों को बिना किसी मूल्य वृद्धि के भारत में सबसे महंगा दूध बेचती है।  गुजरात राज्य दूध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के साथ सुमुल डेयरी सहित राज्य के 14 डेयरी संघों का सदस्य है। अमूल ब्रांड के तहत जीसीएमएमएफ फेडरेशन द्वारा दूध की कीमत की घोषणा की जाती है। वर्तमान में सूरत में सुमुल डेयरी दूध उत्पाद की कीमत गुजरात डेयरी के सभी दूध उत्पादों की तुलना में 2 से 4 रुपये अधिक है।
सुमुल सूरत और तापी जिलों में 75 लाख लोगों को भारत का सबसे महंगा दूध बेचता है। सूरत और तापी जिलों में 2.50 लाख पशुचारक हैं। पिछले साल प्रति किलो फेट का भाव  85 रुपये का भुगतान किया था, इस साल यह 1 रुपये बढ़कर 86 रुपये हो गया है। ( यह मूल्य परिवर्तन चरवाहों के खातों से किलोफैट के पैसे से काट लिया जाता है और हर साल जुलाई के महीने में बोनस के रूप में भुगतान किया जाता है )
एक महीने पहले इस साल जून 2021 में 227 करोड़ दिया वह चरवाहों का काटा हुआ पैसा ही था। गुजरात स्टेट मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की डेयरियां पशुपालकों को दूध की कीमत उसी कीमत पर देती हैं, जिस कीमत पर वे दूध खरीदते हैं, क्योंकि वे सूरत और तापी जिलों के पशुपालकों से दूध खरीदते हैं, यानी सुमूल के पशुपालकों को डेयरी 1 रुपया अधिक भुगतान नही करती। सुमुल द्वारा मौजूदा मूल्य वृद्धि के कारण सूरत और तापी जिलों में उपभोक्ताओं को प्रति माह 9.76 करोड़ रुपये अधिक भुगतान करना होगा।
गुजरात में अन्य डेयरियों की तुलना में सुमुल का अमूल ब्रान्ड के नाम से  बेचे जाने वाले अमुल गोल्ड 4 रुपये, अमूल शक्ति 3 रुपये, अमूल स्लिम एंड ट्रिम 2 रुपये, गाय का दूध 2 रुपये प्रति लीटर, टी- टॉप 3 रुपये, टी- स्पेशल 3 रुपये, ताजा 2 रुपये अधिक बेचा गया। आत्मानिर्भर गुजरात योजना के तहत सुमुल ने 4 प्रतिशत ब्याज पर लिए  ऋण लाभ डिस्ट्रीक्ट बेंक से लिया था जिसमें 3 प्रतिशत राज्य सरकार सब्सिडी दे रही है।  सुमुल ने नवंबर 2020 में महाराष्ट्र से एक लीटर दूध 20-22 रुपये प्रति लीटर और दूध पाउडर और मक्खन का स्टोक 160-178 रुपये में खरीदा था। मिल्क पाउडर की कीमत आज 320 रुपये से 330 रुपये पर बेचा है। 
550 करोड़ रुपये के दुध पाउडर और मक्खन के स्टॉक बढ़ने से बटर मिल्क पाउडर दोगुना हो गया। इस प्रकार, ग्राहकों से खुली लूट हो रही है। हालांकि अमूल फेडरेशन एक है, फिर भी सूरत और केवल सूरत को छोड़कर गुजरात में सभी जगहों पर कीमतें समान क्यों हैं? कांग्रेस ने मांग की है कि सूरत और तापी जिलों सहित लोगों की भावनाओं और मांगों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में कार्रवाई की जाए। 
मांडवी कांग्रेस विधायक आनंद चौधरी ने कहा कि चरवाहों को लाभ मिलना चाहिए, उन्हें लाभ नहीं मिलता, दूध के दाम जब भी बढ़ते हैं तो अतिरिक्त लाभ चरवाहों तक नहीं पहुंचता। अमूल डेयरी और सुमुल डेयरी की कीमतों में अंतर का भी खुलासा होना चाहिए कि सुमूल डेयरी कहां और किसके लिए खर्च करती है।
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