सूरतः कपड़ा उद्योग में 3 लाख से ज्यादा मजदूरों की कमी, कपड़ा बाजार एवं विविंग उद्योग में 50 फीसदी से अधिक मजदूरों की कमी

सूरतः  कपड़ा उद्योग में 3 लाख से ज्यादा मजदूरों की कमी, कपड़ा बाजार एवं विविंग  उद्योग में 50  फीसदी से अधिक मजदूरों की कमी

कोरोना के पहले और दूसरे चरण में उद्योग जगत को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है

कोरोना के संक्रमण का सीधा असर सूरत के कपड़ा उद्योग पर पड़ रहा है। सूरत का कपड़ा उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है। जिसमें  कपड़ा मार्केट, प्रोसे‌सिंग हाउस, और विविंग उद्योग का समावेश है।  कपड़ा बाजार तो खुल गया है लेकिन मजदूरों की कमी ने बाजार के व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। कपड़ा उद्योग में 3 लाख से ज्यादा मजदूरों की कमी है। कपड़ा बाजार और विविंग उद्योग में 50 से 60 प्रतिशत श्रमिक नहीं है।
सूरत मर्कन्टाइल एसोसिएशन के प्रमुख नरेन्द्र साबू ने बताया कि सूरत के कपड़ा बाजारों में हर दिन लाखों कारीगर काम करते हैं। बाजार की दुकानों के स्थायी कर्मचारियों  के अलावा  फोल्डिंग, कटिंग, बॉक्स पैकिंग, कार्टून सप्लाई और ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। इस तरह लाखों मजदूर वर्ग काम करके अपना जीवन यापन करते हैं। सूरत के कपड़ा उद्योग का कपड़ा देश-विदेश में जाता  है। जिसका दायरा बहुत बड़ा है। कोरोना संक्रमण ने कोरोना के पहले और दूसरे चरण में उद्योगों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
सूरत के कपड़ा उद्योग में वि‌विंग और प्रोसेसिंग मिलें भी इसी तरह लाखों श्रमिकों को रोजगार देती हैं। वर्तमान में प्रोसेसिंग लगभग बंद है इसलिए मिल मालिक अभी स्पष्ट रूप से यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि कितने कारीगरों की कमी है। उनके मुताबिक जून के पहले हफ्ते से जब प्रोसेसिंग मिलें शुरू होंगी, तो मिलों में कितने मजदूर आएंगे, तब स्थिति समझ में आएगी। देश भर में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगने से देश भर में कपड़े की मांग बंद हो गई थी, जिससे प्रोसेसिंग हाउस भी बंद हो गई थी।
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