सूरतः तौकते तूफान का असर किचन तक पहुंचा, सब्जियों के भाव बढ़ने से गृहणियों का बजट बिगड़ा

सूरतः तौकते तूफान का असर किचन तक पहुंचा, सब्जियों के भाव बढ़ने से गृहणियों का बजट बिगड़ा

सब्जियों की फसल को नुकसान से 40 से 50 फीसदी की बढ़ोतरी

पेट्रोल-डीजल और खाद्य तेल के बाद सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं
सूरत शहर जिले में हाल ही में आए  चक्रवात ने कृषि के साथ-साथ बागवानी फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है और सब्जियों के उत्पादन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। गर्मी के मौसम में वैश्विक आय में गिरावट के साथ तूफान से तबाह हुए सब्जियों की फसल से सब्जियों की कीमतों में तकरीबन 40 से 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नतीजतन, गरीब और मध्यम वर्ग को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
सूरत शहर-जिले  को प्रभावित कर चुकी  प्राकृतिक आपदा तौकते तूफान ने अब आम आदमी के लिए मुसीबत खड़ी कर गई है। शहर में हर साल गर्मी के मौसम में सब्जियों की आय में उल्लेखनीय कमी आती है। कारण कि गर्मियों की सब्जियों के लिए सिंचाई की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण अधिकांश किसानों को मानसूनी खरीफ फसलों के लिए  खेत तैयार करने में लग जाते हैं।  नतीजतन, गर्मियों की सब्जियों की आय काफी कम हो जाती है और साथ ही, गर्मियों के बीच में तूफान आया, जिसके परिणामस्वरूप जिले में सब्जी की फसल को भी इस तूफान से बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है। सूत्रों के अनुसार जिले में ग्रीष्मकालीन सब्जी की फसल का मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही बचा है, जिससे तकरीबन 40 से 50 प्रतिशत भाव बढ़ने से गृहणियों का बजट बिगड़ गया है।
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरत जिले के नौ तालुकों में किसान सब्जियों की खेती करते हैं। जिसमें  ज्यादातर समुद्र तटीय ओलपाड और चोर्यासी तालुका में सब्जियों की खेती जाती है। ओलपाड के अमरोली, मंदरोई, असनाद, देलासा, सोंदलाखरा, कदरामा के साथ-साथ चोर्यासी तालुका के कुंभरिया, वरियाव, भेसाण, मलगामा, राजगरी, पर्वत सहित के गावों में सब्जियों की खेती की जाती है। यानी कि  जिले के ज्यादातर गांवों से ही शहर में सब्जियां आती हैं। नतीजतन, सब्जियों की कोई कमी नहीं होती। लेकिन तौकते तूफान से किसानों की सब्जी की फसल तबाह हो गई है।
गुजरात के आर्थिक शहर सूरत में रहने वाले मध्यम और गरीब वर्ग के परिवार पिछले डेढ़ साल से वैश्विक महामारी कोरोना से पीड़ित हैं और उन्हें अपनी नौकरी और धंधा में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक ​​कि उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हैं और लोगों के पास आजीविका के साधन भी ठीक से नहीं हैं। ऐसे समय में परिवारों का भरण पोषण कैसे किया जाए यह लोगों के लिए एक यक्ष प्रश्न साबित हुआ है। कोरोना, तौकते तूफान के बीच  पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल, किराने का सामान, रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से मध्यम एवं गरीब वर्ग का जीना मुश्किल कर दिया है। प्रकृति की ऐसी परीक्षा लोगों के लिए कम हो ऐसा हाल ही में, एक अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा  तौकते तूफान आ धमकी जिससे किसानों के फसल बर्बाद हो गये। 
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